Description
हिन्दी कवि कथाकार ध्रुव शुक्ल ने जो प्रयत्न किया है, वह मूल्यवान् और कुमार जी के बारे में अब तक जो लिखा-समझा गया है, उसमें कुछ नया, रोचक और सार्थक जोड़ता है। इस जीवनी में कुमार जी के बारे में जो पहले से जाना हुआ है उसे, जो कम या बिलकुल भी नहीं जाना हुआ है, उसे निरन्तरता में जोड़कर एक ऐसा जीवन वितान चित्रित हुआ है जिसमें कुमार जी के संघर्ष, सौन्दर्य-बोध, हर्ष और विषाद, विफलताएँ और रसिकता सभी गुँथे हुए हैं। भौतिक समय और संगीत – समय की तात्कालिकता, परम्परा के उत्खनन और नवाचार के जोखिम आदि की बहुत रोचक व्याख्याएँ यथास्थान बड़े मार्मिक ढंग से उभरती हैं । कुमार गन्धर्व की जीवन-कथा संघर्ष और लालित्य की कथा एकसाथ है—उसमें भारतीय आधुनिकता की अपनी मर्मकथा भी अन्तर्भूत है। ध्रुव शुक्ल ने यह जीवनी संवेदना, समझ और भाषा में काव्यात्मक अनुगूँजें उद्दीप्त करते हुए बहुत मनोयोग से लिखी है।About the Author:
11 मार्च, 1953 को मध्य प्रदेश के सागर शहर में जन्मे ध्रुव शुक्ल विगत चालीस वर्षों से हिन्दी की साहित्यिक बिरादरी में शामिल हैं। उन्होंने महात्मा गांधी की पुस्तक हिन्द स्वराज्य को केन्द्र में रखकर पूज्य पिता के सहज सत्य पर नाम से एक चर्चित पुस्तक के अलावा मध्य प्रदेश के लोक आख्यान, भीलों के मदनोत्सव भगोरिया और आदिवासी संस्कृति पर मोनोग्राफ़ लेखन भी किया है। उनकी पुस्तकों में अब तक पाँच कविता- संग्रह, शाइरी की एक किताब, तीन उपन्यास, एक कहानी-संग्रह, एक आलोचना पुस्तक, कृति- केन्द्रित समीक्षा-पुस्तक, सामयिक विषयों पर तीन निबन्ध- संग्रह । सेतु प्रकाशन से ध्रुव शुक्ल की संचयिता यह दिन सब पर उगा है प्रकाशित मध्य प्रदेश कला परिषद् और बाद में भारत भवन भोपाल से प्रकाशित पत्रिका पूर्वग्रह में आठ वर्षों तक सह- सम्पादक और बाद में मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के सचिव और साक्षात्कार पत्रिका के सम्पादक रहे। मध्यप्रदेश शासन ने 2019 में ध्रुव शुक्ल को धर्मपाल शोधपीठ के निदेशक पद पर मनोनीत किया। ध्रुव शुक्ल को भारत के राष्ट्रपति ने कथा अवॉर्ड से, गांधी शान्ति प्रतिष्ठान ने गाँधी पीस अवॉर्ड फॉर लिटरेचर से, मध्य प्रदेश लेखक संघ ने अक्षर आदित्य सम्मान से, मध्य प्रदेश कला परिषद् ने कविता के लिए रजा पुरस्कार से, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति ने लोकसेवा सम्मान से सम्मानित किया है। उन्हें कृष्ण बलदेव वैद सम्मान भी प्रदान किया गया है। भारत सरकार के संस्कृति विभाग और रजा फाउण्डेशन दिल्ली ने उन्हें फैलोशिप के लिए चुना है।
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