Digambar Vidrohini Akk Mahadevi By Subhash Rai

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यह एक अनूठी पुस्तक है : इसमें गम्भीर तथ्यपरक तर्कसम्मत शोध और आलोचना, सर्जनात्मक कल्पनाशीलता से किये गये सौ अनुवाद और कुछ छाया-कविताएँ एकत्र हैं। इस सबको विन्यस्त करने में सुभाष राय ने परिश्रम और अध्यवसाय, जतन और समझ, संवेदना और सम्भावना से एक महान् कवि को हिन्दी में अवतरित किया है। वह ज्योतिवसना थी, इसीलिए उसे ‘दिगम्बर’ होने का अधिकार था : अपने तेजस्वी वैभव के साथ ऐसी अक्क महादेवी का हिन्दी में हम इस पुस्तक के माध्यम से ऊर्जस्वित अवतरण का स्वागत करते हैं। रजा पुस्तक माला इस पुस्तक के प्रकाशन पर प्रसन्न है।

-अशोक वाजपेयी
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    श्रीप्रकाश शुक्ल का काव्य-संसार मूलतः उनका आस-पड़ोस है। आस-पड़ोस का अर्थ सहजीवन से है। सहजीवन में प्रकृति और उसके उपदान हैं; सामाजिक हैं, सामाजिक की सामूहिक चेतना है; उत्सव है, ध्वंस है-विसंगतियाँ, अपक्षरण, क्रूरताएँ हैं। ये सब मिलकर जिस काव्यात्मक व्यायोम की रचना करते हैं और उसके लिए काव्य की जिस संवेदनात्मक संरचना का विस्तार करते हैं- उसके लगभग सभी आयामों को इस पुस्तक में दर्ज करने की कोशिश की गयी है। इसमें वरिष्ठ से लेकर नव्यतम पीढ़ी के रचनाकारों ने जो योगदान दिया है, वह सम्पादक द्वय के उद्यम के साथ ही कवि की व्यापक स्वीकृति का परिचायक है।
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