Description
प्रत्येक समय, समाज और स्थान की अपनी गति होती है। अल्प काल की अवधि में देखने पर यह स्थिर और जड़ प्रतीत होता है परन्तु उसकी आन्तरिक हलचलें उसे निरन्तर गतिमान बनाये रखती हैं। जिसका प्रतिबिम्बन दीर्घकालिक स्थितियों व परिस्थितियों में परिलक्षित होता है। इन्हीं हलचलों की दिशा और दशा को देखने और समझने का प्रयास बैल की आँख उपन्यास के माध्यम से संतोष दीक्षित ने किया है।
About the Author:
संतोष दीक्षित
जन्म : 08 दिसम्बर, 1958, ग्राम लालूचक, भागलपुर, बिहार शिक्षा : भागलपुर, पटना एवं राँची में लेखन : 109.1-95 से कथा क्षेत्र में लगातार सक्रिय। देश की शीर्षस्थ पत्रिकाओं में कहानियाँ प्रकाशित, चर्चित एवं विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनूदित प्रकाशन: आखेट (1997), शहर में लछमिनियाँ (2001), ललस (2004), ईश्वर का जासूस (2008) एवं धूप में सीधी सड़क (2014) प्रकाशित। इसके अतिरिक्त तीन व्यंग्य संग्रह एवं व्यंग्य कहानियों का एक संग्रह बुलडोजर और दीमक। केलिडोस्कोप, ‘घर बदर’ (उपन्यास)। सम्मान : बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान संपादन : बिहार के कथाकारों पर केंद्रित एक कथा संग्रह कथा बिहार का संपादन
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