Description
बच्चों के बौद्धिक क्षमता के विकास और शिक्षकों को नयी तकनीक सिखाने वाली आवश्यक पुस्तक।
आरंभिक बालशिक्षा के लिए ‘बौद्धिक उपकरण’ (Tools of the Mind) की अवधारणा का विकास लेव वाइगोत्स्की द्वारा किया गया। वाइगोत्स्की का मानना था कि जिस तरह भौतिक उपकरण हमारी शारीरिक क्षमताओं का विस्तार करते हैं, उसी प्रकार बौद्धिक उपकरण हमारी मानसिक क्षमताओं का विस्तार करते हैं। ये बच्चों को समस्याओं का समाधान करने में सक्षम बनाते हैं। इस संकल्पना को जब बच्चों पर लागू किया जाता है तो इसका मतलब है कि स्कूल और उसके माहौल में सफलतापूर्वक कार्य करने के बाद भी, बच्चों को और अधिक तथ्य व कौशल की जरूरत है। इसके लिए उन्हें बौद्धिक उपकरणों की आवश्यकता होगी। वाइगोत्स्की के अनुसार जब तक बच्चे बौद्धिक उपकरणों का उपयोग करना नहीं सीखते, तब तक उनका सीखना बहुत हद तक आसपास के वातावरण पर निर्भर करता है। वे केवल उन चीजों के साथ तादात्म्य स्थापित कर पाते हैं, जो चमकदार होती हैं या तीव्र ध्वनि उत्पन्न करती हैं। वे केवल उन बातों को याद रख पाते हैं, जिन्हें वे कई बार दोहराते हैं। जब बच्चे बौद्धिक उपकरणों के इस्तेमाल में महारत हासिल कर लेते हैं, वे समझ-बूझ कर और उद्देश्यपूर्ण तरीके से अपनी क्रियाओं पर नियंत्रण स्थापित करते हैं। कुछ बौद्धिक उपकरण बच्चों के संज्ञानात्मक व्यवहार में बदलाव ला सकते हैं और कुछ उनके भौतिक (शारीरिक), सामाजिक और भावनात्मक व्यवहार में बदलाव ला सकते हैं। एलेना बोद्रोवा और डेबोरा जे. लियॉन्ग की पहली प्राथमिकता वाइगोत्स्कीय अनुदेशात्मक रणनीतियों का निर्माण करना था। वे शिक्षण और अधिगम के दृष्टिकोण से एक सुसंगत व्यापक पाठ्यक्रम बनाने हेतु सैद्धांतिक ढाँचे और आंतरिक तर्क के साथ गतिविधियों को तैयार करते हैं। इसी के अंतर्गत 1996 में बोद्रोवा और लियॉन्ग ने वाइगोत्स्कीय शिक्षण/अधिगम विचारधारा पर आधारित पुस्तक ‘Tools of the Mind : The Vygotskian Approach to Early Childhood Education’ लिखी। इसी पुस्तक का हिंदी अनुवाद प्रभा दीक्षित ने किया है। वाइगोत्स्कीय दृष्टिकोण और इसकी व्यावहारिक व्याख्या के कारण वर्तमान समय में इस पुस्तक को क्लासिक का दर्जा प्राप्त है। इस पुस्तक का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है और अब यह हिंदी में आ रही ‘बौद्धिक उपकरण’ कई शोध अध्ययनों का विषय रहे हैं। कई राष्ट्रों द्वारा शैक्षणिक क्षेत्र में इसका राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन किया गया है। 2001 ई. में यूनेस्को के एक प्रोग्राम इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ एजुकेशन द्वारा इसे ‘अनुकरणीय शैक्षिक हस्तक्षेप’ नाम दिया गया था। ‘बौद्धिक उपकरणों के प्रयोग से बच्चों में कार्य-कारण क्षमता, तार्किक अभियोग्यता, ध्यानकेंद्रण, पठन में गुणात्मक सुधार, शब्दावली एवं गणितीय क्षमता की वृद्धि हुई है। ये ‘बौद्धिक उपकरण’ कक्षाओं में अध्ययन-अध्यापन संबंधित वाइगोत्स्कीय दृष्टिकोण पर आधारित हैं। बच्चों की अधिगम क्षमता में सुधार और शिक्षकों को नयी तकनीक सिखाने की दृष्टि से यह पुस्तक एक सार्थक पहल है।






























Reviews
There are no reviews yet.