Description
Bhartiya Chintan Ki Bahujan Parampra By Om Prakash Kashyap
About the Author
ओम प्रकाश कश्यप
15 जनवरी 1959 को जिला बुलन्दशहर (उ.प्र.) के एक गाँव में जन्मे ओमप्रकाश कश्यप की छवि एक गम्भीर और साहसी लेखक अध्येता की है। अभी तक पाँच उपन्यास समेत नाटक, कविता, बाल साहित्य, वैचारिक लेखन आदि की उनकी 38 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रकाशित पुस्तकों में पेरियार ई.वी. रामासामी भारत के वॉल्टेयर, पेरियार संचयन, समाजवादी आन्दोलन की पृष्ठभूमि, समाजवादी आन्दोलन के विविध आयाम, परीकथाएँ एवं विज्ञान लेखन, बचपन और चालसाहित्य के सरोकार, कल्याण राज्य का स्वप्न और मानव अधिकार आदि विशेष रूप से चर्चित हैं। इनके अतिरिक्त साहित्य, संस्कृति और समसामयिक मुद्दों पर सैकड़ों लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छप चुके हैं। उन्हें हिन्दी अकादमी, दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। सम्प्रति स्वतन्त्र लेखन।
जब हम भारतीय संस्कृति, परम्परा, धर्म और दर्शन आदि की बात करते हैं तो क्या इसका सम्बन्ध सारी भारतीय मनीषा और समस्त भारतीय समाज से होता है, या बहुत कुछ ऐसा है जो छूट जाता है या छोड़ दिया जाता है? क्या हम एक अभिजनवादी दृष्टि के शिकार हैं और सदियों से, पीढ़ी दर पीढ़ी, इसी घेरे में रहने के कारण, इसे ही सम्पूर्ण सच मान बैठे हैं? इसके बरअक्स क्या लोकवादी दृष्टि और दर्शन की भी एक लम्बी परम्परा रही है? गम्भीर अध्येता और लेखक ओमप्रकाश कश्यप की यह किताब भारतीय चिन्तन की बहुजन परम्परा ऐसे ढेर सारे सवाल उठाती है, उनपर गहराई से विचार करती है और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य से लेकर समकालीन परिदृश्य तक को सामने रखते हुए एक वैकल्पिक विचारदृष्टि की प्रस्तावना करती है। जाहिर है यह एक बेहद विचारोत्तेजक पुस्तक है। यह बताती है कि भारत के इतिहास के आरम्भिक काल से लेकर अब तक समता और सामाजिक न्याय को अपनी प्रेरणा, अपना आदर्श मानने वाली विचारधारा निरन्तर चलती आयी है। समय-समय पर यह दमित और दुर्बल भले हो गयी हो, इसकी निरन्तरता बनी रही है। लेखक ने इसे भारतीय चिन्तन को बहुजन परम्परा कहा है। विडम्बना यह है कि अधिकांश बहुजन समाज को भी इस परम्परा की तेजस्विता और अपनी विरासत की समृद्धि का भान नहीं है। लिहाजा, यह किताब एक बड़े अभाव की पूर्ति करती है। जहाँ यह भारतीयता के हमारे बोध का जबरदस्त विस्तार करती है, वहीं परम्परा, दर्शन, संस्कृति आदि की हमारी समझ को समतामूलक तथा अधिक जनोन्मुखी बनाने का प्रयत्न भी करती है। गहन अध्ययन और चिन्तन-मनन से उपजी इस पुस्तक को नजरअन्दाज करना किसी भी विचारशील व्यक्ति के लिए, सम्भव नहीं होगा।


























Adrika Sharma –
“भारतीय चिंतन की बहुजन परम्परा” ओम प्रकाश कश्यप जी की अद्वितीय किताब है जो हमें समाज में धर्म के महत्वपूर्ण और व्यापक प्रभावों को समझने में मदद करती है। इस पुस्तक में उन्होंने मनुष्य की धार्मिकता और धर्म से संबंधित विविध मुद्दों को व्याख्यात किया है और उन्हें एक नई दृष्टिकोण से देखने का मौका दिया है।