रवीन्द्र कालिया के इस संस्मरण-संग्रह का शीर्ष आलेख छूटी सिगरेट भी कमबख्त आज पढ़कर वे दिन याद आते हैं जब कई मौकों पर उन्होंने सिगरेट छोड़नी चाही मगर नाकामयाब रहे। हर सिगरेट-प्रेमी की दिक्कत यही है की वह सोचता है-वह कल से सिगरेट पिन छोड़ देगा। कभी होंठ जले तो कभी उँगलियाँ, कभी दृ जली तो कभी बिस्तर लेकिन छूटी वह तब जब शरीर ने बगावत करनी शुरू की।
About the Author:
रवीन्द्र कालिया / Ravindra Kalia
जन्म- ११ नवंबर १९३९ को जालंधर में।
शिक्षा- हिंदी में स्नातकोत्तर उपाधि
कार्यक्षेत्र-
उपन्यासकार, कहानीकार और संपादन के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रवीन्द्र कालिया धर्मयुग, वागर्थ, नया ज्ञानोदय और वर्तमान साहित्य जैसी बहुत-सी पत्रिकाओं का लंबे समय तक संपादन दिया है। वे भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए और अंतिम समय तक ‘वर्तमान साहित्य’ में सलाहकार संपादक के पद पर कार्य करते रहे।
प्रकाशित कृतियाँ-
कथा संग्रह- नौ साल छोटी पत्नी, गरीबी हटाओ, गली कूंचे, चकैया नीम, सत्ताइस साल की उमर तक, ज़रा सी रोशनी, रवीन्द्र कालिया की कहानियाँ, दस प्रतिनिधि कहानियाँ, इक्कीस श्रेष्ठ कहानियाँ
उपन्यास- खुदा सही सलामत है, ए.बी.सी.डी., १७ रानडे रोड
संस्मरण- स्मृतियों की जन्मपत्री, कामरेड मोनालिसा, सृजन के सहयात्री, गालिब छुटी शराब
व्यंग्य संग्रह- नींद क्यों रात भर नहीं आती, राग मिलावट माल कौंस
सम्मान व पुरस्कार-
उ.प्र. हिंदी संस्थान का प्रेमचंद स्मृति सम्मान, म.प्र. साहित्य अकादेमी द्वारा पदुमलाल बक्शी सम्मान, उ.प्र. हिंदी संस्था न द्वारा साहित्यनभूषण सम्मान, उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा लोहिया सम्मान, पंजाब सरकार द्वारा शिरोमणि साहित्य सम्मान
निधन- ९ जनवरी २०१६
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