Ambedkar Dalit Aur Stri Prashan By Ram Puniyani And Ravikant
आंबेडकर दलित और स्त्री प्रश्न – राम पुनियानी और रविकांत
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आंबेडकर दलित और स्त्री प्रश्न – राम पुनियानी और रविकांत
साम्प्रदायिकता वह राजनीति है जो धर्म के नाम पर चलायी जाती है। दूसरे शब्दों में, साम्प्रदायिकता, धार्मिक पहचान के आधार पर राजनीतिक समर्थन जुटाती है। यद्यपि ऊपर से देखने से ऐसा लगता है कि यह धर्म आधारित राष्ट्रवादी संघर्ष है तथापि यथार्थ में साम्प्रदायिकता वह राजनीति है जो प्रजातन्त्र का गला घोंटती है, जन्म आधारित जाति व्यवस्था और लिंग भेद को समाज पर लादती है और सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया में रोड़े अटकाती है। यह वह राजनीति है, जो स्वतन्त्रता, समानता और बन्धुत्व के मूल्यों को नकारती है। वो बात तो सामाजिक सद्भाव की करती है परन्तु अल्पसंख्यकों पर खुलकर निशाना साधती है।
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मीरा नाचीस्त्री-मन की कहानयाँ – मृदुला गर्ग
आजकल स्त्री-विमर्श पर बहस करने का फ़ैशन है, सो उस पर असंख्य किताबें लिखी जा रही हैं। मेरा अपना सोच कुछ अलग है। मैं समझती हूँ कि स्त्री विमर्श के सिद्धान्त गढ़ने से पहले हमें स्त्री अनुभव पर गहराई से सोचना चाहिए क्योंकि रचना के सूत्र अनुभव में मिलते हैं, विमर्श में नहीं और विमर्श के सूत्र अनुभवजन्य रचना से निकलते हैं। यानी रचना पहले होती है, विमर्श उसके माध्यम से बाद में विकसित होता है। कह सकते हैं असल मुद्दा रचना द्वारा नारी-मन को उसकी पूरी जटिलता और बहुरंगी छटा में समझने का है। ऐसा नहीं है कि नारी का मन पुरुष के मन से पृथक् वस्तु है, जो समाज और समय से अपने सम्बन्ध को अलग-थलग तरीके से देखता है। -इसी पुस्तक से
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