Description
गरुड़ और अन्य शोकगीत जितने सघन अनुभव से उपजा संग्रह है, वह आपकी अभिभूति को उतना ही सघन बनाता है। एक ऐसे समय में जिसमें हम सभी अनंत वर्तमान में जीने को लगभग विवश हैं, यह कविता हमें सीमाओं के पार ले जाती है। हमें उस समय की याद दिलाती है जो निरा वर्तमान नहीं है। कवि की दृष्टि शोक के अंतर्गत होने वाली उदासीनताओं, कुछ क्रूर या कम से कम निर्दय पक्षों, अंतर्विरोधों आदि पर भी जाती है और पूरा संग्रह शोक का जो वितान रचता है, वह जीवन जैसा ही विपुल और उत्कट है।
About the Author:
अम्बर पाण्डेय हिन्दी और अंग्रेजी में कविता तथा गद्य लिखते है। इनकी पहली पुस्तक कोलाहल की कविताएँ है, जिस पर इन्हें अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। ये फ्रांसीसी और जर्मन भाषा से हिन्दी एवं अंग्रेजी में अनुवाद करते हैं।
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