Description
Kabhi Purniya Mein (History) By Dr. Ashok Kumar Jha
Edited by Prof. Ratneshawar Mishra
About the Author
डॉ. अशोक कुमार झा
29 जनवरी 1955 को जन्मे डॉ. अशोक कुमार झा ने पी-एच.डी. तक शिक्षा प्राप्त की। ये अररिया महाविद्यालय, अररिया में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत रहे। डॉ. झा भौतिकी के प्राध्यापक होते हुए भी मुख्यतः इतिहासकार थे। इन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन किया, साथ ही अनेक पुस्तकों का लेखन-सम्पादन भी किया।
डॉ. झा वन्य जीवों एवं पशु-पक्षियों में गहरी रुचि रखते थे। इनकी इस रुचि एवं वन्य जीव संरक्षण के प्रति सजगता से प्रभावित होकर सरकार ने इन्हें पूर्णियाँ प्रमण्डल में वन्यजीव संरक्षण हेतु ऑननेरी मजिस्ट्रेट की शक्ति प्रदान की थी।
प्रोफेसर रत्नेश्वर मिश्र ने देश के अनेक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में पी-एच.डी. तक की शिक्षा प्राप्त की।
इन्हें अध्यापन का लम्बा अनुभव रहा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में इतिहास विभाग में प्रोफेसर एवं अध्यक्ष रहे। वहीं से सेवानिवृत्त हुए। इनकी मुख्य पुस्तकें हैं- हिस्ट्री ऑफ पूर्णियाँ (1722-1793), आधुनिक बिहार का बदलता भौगोलिक इतिहास, पं. विनोदानन्द झा जीवनवृत्त एवं परिवेश आदि। इन्होंने अनेक पुस्तकों का अनुवाद किया एवं कुछ पुस्तकें सहलेखन में लिखीं।
अनेक पुरस्कारों से नवाजे गये प्रो. मिश्र विविध सांस्कृतिक गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से संलग्न हैं- प्रभागाध्यक्ष, इण्डियन हिस्ट्री काँग्रेसः अध्यक्ष, बिहार इतिहास परिषद्दः अध्यक्ष, सब-हिमालयन रिसर्च इन्सटीट्यूट, पूर्णियाँ: अध्यक्ष, नेतरहाट एल्यूमिनाइ ट्रस्ट आदि।


















Adrika Sharma –
“कभी पूर्णिया में” डॉ. आशोक कुमार झा जी की यह महत्त्वपूर्ण किताब भारतीय इतिहास के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती है, खासकर यूरोपीय आबादी के स्थानीय समाज के साथ उनके संबंधों को। इस किताब में डॉ. झा जी ने ऐतिहासिक संदर्भ के साथ पूर्णिया क्षेत्र में ब्रिटिश नागरिकों के जीवन के प्रस्तुतिकरण किया है, जो वर्तमान में भी उस समय के जीवन की गहराई को समझने में मदद करता है।