खंडित आजादी इस किताब में कोबाड़ गांधी और उनकी जीवन संगिनी व एक्टिविस्ट अनुराधा के संघर्षों के संस्मरण तो हैं ही, विभिन्न जेलों तथा न्याय प्रणाली के बरसों-बरस के उनके अनुभव भी इसमें विस्तार से, बखूबी दर्ज हैं।
Khandit Azadi : Karawas Ke Kuchh Sansmaran – Kobad Ghandy
₹424.00₹499.00
15% off
Khandit Azadi : Karawas Ke Kuchh Sansmaran – Kobad Ghandy Translated By Ujjawala Mhatre
खंडित आजादी –
खंडित आजादी इस किताब में कोबाड़ गांधी और उनकी जीवन संगिनी व एक्टिविस्ट अनुराधा के संघर्षों के संस्मरण तो हैं ही, विभिन्न जेलों तथा न्याय प्रणाली के बरसों-बरस के उनके अनुभव भी इसमें विस्तार से, बखूबी दर्ज हैं।
In stock
You may also like…
-
Chhooti Cigarette Bhi Kambhakth – Ravindra Kalia
Chhooti Cigarette Bhi Kambhakth – Ravindra Kalia
‘छूटी सिगरेट भी कमबख्त ‘ –रवीन्द्र कालिया के इस संस्मरण-संग्रह का शीर्ष आलेख छूटी सिगरेट भी कमबख्त आज पढ़कर वे दिन याद आते हैं जब कई मौकों पर उन्होंने सिगरेट छोड़नी चाही मगर नाकामयाब रहे।
₹275.00 -
Rang Yatriyo Ke Rahe Guzar by Satya Dev Tripathi
लेकिन इसी सिलसिले में कुछ गिने-चुने लोगों के साथ मानवोचित प्रक्रिया में ऐसे सह-सम्बन्ध भी बने, जिसमें नाटक तो मूल आधार बना और अन्त तक प्रमुख सरोकार बनकर रहा भी, लेकिन उसमें मानवीय प्रवृत्तियाँ नाटक की सीमाओं को लाँघकर जीवनपरक भी हो गयीं-सिर्फ़ नाटक को होने की मोहताज न रहीं। और यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं, कि जीवन से जुड़ जाने के बाद उनके साथ उनके रंगकर्म को समग्रता में जानने-समझने का लुत्फ़ ही कुछ और हो गया। इनमें कुछ बुजुर्ग व महनीय लोगों (ए.के. हंगल, हबीब तनवीर, सत्यदेव दुबे… आदि) से अकूत स्नेह मिला, अनकही सुरक्षा मिली और काफ़ी कुछ सीखने-जानने को मिला…, तो वहीं कुछ हमउम्री के आसपास के रंगकर्मियों के साथ अहर्निश के रिश्ते बने। आपसी दुख-सुख एक हो गये। उनके साथ से संघर्षों-चुनौतियों में सम्बल मिले।– आमुख सेBuy This Book Instantly thru RazorPay
(15% + 5% Extra Discount Included)₹350.00 -
-
Khoye Hue Logon Ka Shahar By Ashok Bhaumik
‘खोये हुए लोगों का शहर’ विख्यात चित्रकार और लेखक अशोक भौमिक की नयी किताब है। गंगा और यमुना के संगम वाले शहर यानी इलाहाबाद (अब प्रयागराज) की पहचान दशकों से बुद्धिजीवियों और लेखकों के शहर की रही है। इस पुस्तक के लेखक ने यहाँ बरसों उस दौर में बिताये जिसे सांस्कृतिक दृष्टि से वहाँ का समृद्ध दौर कहा जा सकता है। यह किताब उन्हीं दिनों का एक स्मृति आख्यान है। स्वाभाविक ही इन संस्मरणों में इलाहाबाद में रचे-बसे और इलाहाबाद से उभरे कई जाने-माने रचनाकारों और कलाकारों को लेकर उस समय की यादें समायी हुई हैं, पर अपने स्वभाव या चरित्र के किसी या कई उजले पहलुओं के कारण कुछ अज्ञात या अल्पज्ञात व्यक्ति भी उतने ही लगाव से चित्रित हुए हैं। इस तरह पुस्तक से वह इलाहाबाद सामने आता है जो बरसों पहले छूट जाने के बाद भी लेखक के मन में बसा रहा है। कह सकते हैं कि जिस तरह हम एक शहर या गाँव में रहते हैं उसी तरह वह शहर या गाँव भी हमारे भीतर रहता है। और अगर वह शहर इलाहाबाद जैसा हो, जो बौद्धिक दृष्टि से काफी उर्वर तथा शिक्षा, साहित्य, संस्कृति में बेमिसाल उपलब्धियाँ अर्जित करने वाला रहा है, तो उसकी छाप स्मृति-पटल से कैसे मिट सकती है? लेकिन इन संस्मरणों की खूबी सिर्फ यह नहीं है कि भुलाए न बने, बल्कि इन्हें आख्यान की तरह रचे जाने में भी है। अशोक भौमिक के इन संस्मरणों को पढ़ना एक विरल आस्वाद है।
Buy This Book Instantly thru RazorPay₹225.00
Be the first to review “Khandit Azadi : Karawas Ke Kuchh Sansmaran – Kobad Ghandy”
You must be logged in to post a review.