Kitni Kam Jagahein Hain (Poems) By Seema Singh

15% off

साथ रहकर विलग रहने का अर्थ
फूल बेहतर जानते हैं मनुष्यों से

कोमलता झुक जाती है स्वभावतः
भीतर की तरलता दिखाई नहीं देती
निर्बाध बहती है छुपी हुई नदी की तरह
स्पर्श की भाषा में फूल झर जाते हैं छूने से
सच तो यह है कि वे सह नहीं पाते
और गिर जाते हैं एक दिन
हमें फूलों से सीखनी चाहिए विदा !
– इसी पुस्तक से
Buy This Book with 1 Click Via RazorPay (15% + 5% discount Included)

212.00250.00

In stock

Kitni Kam Jagahein Hain (Poems) By Seema Singh
कितनी कम जगहें हैं – सीमा सिंह

 

SKU: Kitni Kam Jagahein Hain-Paperback
Category:
Tag:
Author

Seema Singh

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-6201-680-5

Pages

128

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Customer Reviews

1-5 of 4 reviews

  • Mukesh Singh

    Ah, I see! It’s great to acknowledge the author of the poem book. Authors pour their hearts and souls into their work, and it’s always meaningful.

    April 3, 2024
  • 1106 Konark Riva Archana

    बहुत अच्छी और मन को छूँ देने वाली कविताएँ । 😊

    April 9, 2024
  • Adrika Sharma

    “कितनी कम जगहें हैं” एक काव्य संग्रह है जो रचनाकार सीमा सिंह की अनूठी और विचारशील दुनिया को प्रस्तुत करता है। इस संग्रह में सीमा सिंह जी ने समाज, प्रेम, जीवन के मायने, और मानवता के मूल्यों पर अपने विचारों को सांगड़ा है।😍😍

    April 18, 2024
  • Srishty Singh

    Poems that can make you feel nostalgic about your childhood. This book is so beautiful in making us realise how less we need in life and in the process of finding something extra we have lost so much.

    April 22, 2024

Write a Review

You may also like…

  • Dalit Kavita – Prashana aur Paripekshya – Bajrang Bihari Tiwari

    दलित कविता : प्रश्न और परिप्रेक्ष्य – बजरंग बिहारी तिवारी

    दलित साहित्यान्दोलन के समक्ष बाहरी चुनौतियाँ तो हैं ही, आन्तरिक प्रश्न भी मौजूद हैं। तमाम दलित जाति-समुदायों के शिक्षित युवा सामने आ रहे हैं। ये अपने कुनबों के प्रथम शिक्षित लोग हैं। इनके अनुभव कम विस्फोटक, कम व्यथापूरित, कम अर्थवान नहीं हैं। इन्हें अनुकूल माहौल और उत्प्रेरक परिवेश उपलब्ध कराना समय की माँग है। वर्गीय दृष्टि से ये सम्भावनाशील रचनाकार सबसे निचले पायदान पर हैं। यह ज़िम्मेदारी नये मध्यवर्ग पर आयद होती है कि वह अपने वर्गीय हितों के अनपहचाने, अलक्षित दबावों को पहचाने और उनसे हर मुमकिन निजात पाने की कोशिश करे। ऐसा न हो कि दलित साहित्य में अभिनव स्वरों के आगमन पर वर्गीय स्वार्थ प्रतिकूल असर डालने में सफल हों।

    – इसी पुस्तक से

    Buy This Book with 1 Click Via RazorPay (15% + 5% discount Included)


    Kindle E-Book Also Available
    Available on Amazon Kindle

    234.00275.00
  • Bhasha Mein Nahi By Sapna Bhatt

    सपना भट्ट की कविताओं से गुजरते हुए वाल्टर पीटर होराशियो का यह कथन कि ‘All art constantly aspires towards the condition of music’ बराबर याद आता है। समकालीन कविता में ऐसी संगीतात्मकता बिरले ही दिखाई पड़ती है। यह कविताएँ एक मद्धम सिम्फनी की तरह शुरू होती हैं, अन्तर्निहित संगीत और भाषा का सुन्दर वितान रचती हैं और संगीत की ही तरह कवि मन के अनन्त मौन में तिरोहित हो जाती हैं। पूरे काव्य में ध्वनि, चित्र, संकोच, करुणा, विनय और ठोस सच्चाइयाँ ऐसे विन्यस्त कि कुछ भी अतिरिक्त नहीं। यह कविताएँ ठण्डे पर्वतों और उपत्यकाओं के असीमित एकान्त के बीच से जैसे तैरती हुई हमारी ओर आती हैं। इन सुन्दर कविताओं में कामनाहीन प्रेम की पुकारें, रुदन, वृक्षों से झरती पत्तियाँ और इन सब कुछ पर निरन्तर गिरती बर्फ जैसे अनगिनत विम्ब ऐसे घुले मिले हैं कि चित्र और राग संगीत, एकसाथ कविताओं से पाठक के मन में कब चले आते हैं पता ही नहीं चलता। यह कविताएँ किस पल आपको अपने भीतर लेकर बदल देती हैं यह जानना लगभग असम्भव है।

    Kindle E-Book Also Available
    Available on Amazon Kindle

    Buy This Book with 1 Click Via RazorPay (15% + 5% discount Included)

    234.00275.00
  • Prem Ke Paksh Mein Prarthana By Kundan Siddhartha

    कुंदन सिद्धार्थ की कविता कम शब्दों में अपने तरक़्क़ीपसन्द मन्तव्यों की स्पष्ट, मार्मिक एवं सार्थक अभिव्यक्ति है। इन कविताओं के मूल में मानवीय संवेदन और उपचार में मानवीय सरोकार हैं। कवि के इस पहले संग्रह का हिन्दी जगत् में इसलिए भी स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि ये कविताएँ वे आँखें हैं जो जितना देखती हैं उससे कहीं अधिक हैं।

    Buy This Book with 1 Click Via RazorPay (15% + 5% discount Included)

    213.00250.00