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Rajkamal Choudhary Ki Rachna-drishti

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राजकमल चौधरी की रचना-दृष्टि – देवशंकर नवीन

राजकमल चौधरी एक परम्परागत रूढिप्रिय परिवार में पैदा हुए थे। किशोरावस्था से ही वे रूढ़ संस्कारों के विरोधी रहे। राजकमल के साहित्यिक व्यक्तित्व का गठन परिवार और समाज की रूढ़ियों से संघर्ष करते हुए ही हुआ था। उनके इसी संस्कार ने प्रखर युगबोध से अनुप्राणित होकर उन्हें परम्परा-भंजक बनाया । अराजकता की हद तक जाकर उनके पात्र पतनशील मूल्यों को तोड़ते हैं और नये मूल्यों की स्थापना के लिए संघर्ष करते हैं। आजादी के बाद की नयी पीढ़ी के साहित्यिकों का जब मोहभंग हुआ, तो समाज से कटकर यह पीढ़ी आत्मकेन्द्रित हुई। इसकी चरम अभिव्यक्ति देह की राजनीति के साहित्य में हुई। राजकमल उनकी अगुवाई करने वाले साहित्यकारों में भी अग्रणी थे उनका जीवन मोहभंगयुगीन नायकों का सर्वश्रेष्ठ निदर्शन है। सन् 1967 में वे चरम व्यक्तिवाद के अस्तित्ववादी ढाँचे को छोड़कर जनता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर ही रहे थे कि काल का बुलावा आ गया।


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Description

RAJKAMAL CHOUDHARY KI RACHNA-DRISHTI by DEO SHANKAR NAVIN

About the Author:

कुछेक राष्ट्रीय प्रान्तीय सम्मानों से सम्मानित लेखक (जन्म : 02 अगस्त 1962) सोलह वर्षों तक नेशनल बुक ट्रस्ट में सम्पादन कार्य और पाँच वर्षों तक इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में अध्यापन के बाद फिलहाल भारतीय भाषा केन्द्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली में प्रोफ़ेसर पद पर कार्यरत हैं। नेशनल बुक ट्रस्ट, प्रकाशन विभाग, साहित्य अकादेमी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, राजकमल प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, किताबघर, अन्तिका प्रकाशन, चतुरंग प्रकाशन, नवारम्भ प्रकाशन, विजया बुक्स, श्रुति प्रकाशन, सेतु प्रकाशन जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशनों द्वारा प्रकाशित मैथिली एवं हिन्दी में उनकी लिखित चौदह, सम्पादित चौबीस एवं अनूदित आठ कृतियों में से प्रमुख हैं-साहित्य और समाज की बात, राजकमल चौधरी जीवन और सृजन, अनुवाद अध्ययन का परिदृश्य, अक्खर खम्भा, भारत का प्राचीन इतिहास, सरोकार…आदि। अँग्रेजी सहित कई अन्य भारतीय भाषाओं में रचनाएँ अनूदित लगभग ढाई दर्जन श्रेष्ठ संकलनों एवं स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में साढ़े तीन सौ से अधिक आलेख प्रकाशित। सन् 1991 में हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा श्रेष्ठ युवाकवि पुरस्कार, सन् 2013 में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान सौहार्द सम्मान, सन् 2015 में डीबीडी कोशी सन् 2017 में बिहार सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा विद्यापति सम्मान, सन् 2019 में नयी धारा रचना सम्मान, सन् 2021 में दिनकर राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित ।

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