Description
SADAK PAR MORCHA (Poems)
Edited by Ramprakash Kushwaha, Rajendra Rajan
उन किसानों की स्मृति को समर्पित
जिन्होंने तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़
चले आन्दोलन के दौरान
अपनी जान गँवायी
Original price was: ₹250.00.₹213.00Current price is: ₹213.00.
दिल्ली बार्डर पर चले किसान मोर्चे के दौरान एक अद्भुत बात हुई। अनगिनत शहरी हिन्दुस्तानियों को पहली बार एहसास हुआ कि ‘मेरे अन्दर एक गाँव है’। जो किसान नहीं थे उन्हें महसूस हुआ कि ‘आन्दोलन सिर्फ किसानों का नहीं है। किसान सिर्फ खेत में ही नहीं हैं।’ इसकी पहली सांस्कृतिक अभिव्यक्ति पंजाब में हुई। लोकगीतों और गायकों के समर्थन के सहारे यह आन्दोलन खड़ा हुआ और दिल्ली के दरवाजे पहुँचने की ताक़त जुटा सका। आन्दोलन के दौरान लोकमानस से जुड़ी इस रस्सी ने किसान मोर्चे के टेण्ट को टिकाये रखा। इस अन्तरंग रिश्ते ने आन्दोलन को वह ताक़त दी जो हमारे समय के अन्य जन आन्दोलनों- मसलन नागरिकता क़ानून विरोधी आन्दोलन या फिर मज़दूर आन्दोलन- को हासिल नहीं हो पायी। इसी बल पर किसान आन्दोलन पुलिसिया दमन, सत्ता की तिकड़म, गोदी मीडिया के दुष्प्रचार और प्रकृति की मार का मुक़ाबला कर सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर पाया।
In stock
SADAK PAR MORCHA (Poems)
Edited by Ramprakash Kushwaha, Rajendra Rajan
उन किसानों की स्मृति को समर्पित
जिन्होंने तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़
चले आन्दोलन के दौरान
अपनी जान गँवायी
Language | Hindi |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | 978-93-6201-629-4 |
Pages | 168 |
Publisher | Setu Prakashan Samuh |
Editor | Ramprakash Kushwaha, Rajendra Rajan |
You must be logged in to post a review.
Reviews
There are no reviews yet.