Sangharsh Ke Tever – Nivedita Menon Translation. By Naresh Goswami

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संघर्ष के तेवर – निवेदिता मेनन

संघर्ष के तेवर पुस्तक भारत में रैडिकल राजनीति-खासतौर पर नारीवादी राजनीति की कशमकश का जायजा लेने की कोशिश करती है।


इस किताब में मैंने इन तर्कों के निहितार्थों को नारीवादी आन्दोलन, विशेषकर आठवें दशक के अनुभव की रोशनी में परखने की कोशिश की है। यहाँ मुख्यतः तीन मुद्दों पर ध्यान दिया गया है : (क) गर्भपात तथा भ्रूण-हत्या (ख) यौन हिंसा; और (ग) संसद में महिला-आरक्षण का अभियान। इस पुस्तक का केन्द्रीय प्रश्न इन्हीं तीन मुद्दों के इर्द-गिर्द बुना गया है : नारीवादी राजनीति किससे मुखातिब है ? मुझे लगता है कि हमने इस प्रश्न का उत्तर स्त्री की देह में पहले ही ढूँढ़ लिया है। लेकिन कन्या- भ्रूण का गर्भपात कराने का फ़ैसला करती औरत हो, यौन हिंसा का प्रतिरोध करती या उससे भिड़न्त करती औरत हो या फिर राजनीति में नुमाइन्दगी की माँग करती औरत हो – नारीवादी राजनीति के अनुभव में इस प्रश्न की दरारें बार-बार दिखाई देती हैं। इस किताब में मेरा आग्रह इस बात पर है कि ‘स्त्रियों’ को एक सब्जेक्ट (किरदार) बनाने का उपक्रम नारीवादी राजनीति का प्रस्थान-बिन्दु न मानकर उसका उद्देश्य माना जाना चाहिए। लेकिन, अगर हम यह बात स्वीकार करते हैं तो फिर क़ानून के नाम लिखी जाने वाली हमारी अपीलें लाजिमी तौर पर ‘स्त्रियों’ की पूर्व- प्रदत्त अवधारणा पर आधारित होंगी और जब क़ानून उनके बारे में बात करेगा तो उससे नारीवाद के नीति-दर्शन तथा क़ानूनी बदलावों के बीच अनिवार्य रूप से विसंगतियाँ पैदा होंगी।

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Sangharsh Ke Tever – Nivedita Menon Trans. By Naresh Goswami

संघर्ष के तेवर पुस्तक भारत में रैडिकल राजनीति-खासतौर पर नारीवादी राजनीति की कशमकश का जायजा लेने की कोशिश करती है।


About the Author:

निवेदिता मेनन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली में प्रोफेसर हैं। सीइंग लाइक अ फेमिनिस्ट (2012) एवं रिकवरिंग सबवर्जन : फेमिनिस्ट पॉलिटिक्स बेयॉन्ड दि लॉ (2004) उनकी प्रमुख कृतियाँ है।

SKU: sangharsh-ke-tever-nivedita-menon-paperback
Category:
ISBN

9789395160834

Author

Nivedita Menon

Binding

Paperback

Pages

392

Publication date

25-02-2023

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

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    – इसी पुस्तक से

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    – अनुवादक अनिल माहेश्वरी

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    यह पुस्तक एक जीवनी है और इस विधा में अपनी विशिष्ट जगह बना चुकी है। समकालीन भारत के सबसे जाने-पहचाने इतिहासकार रामचन्द्र गुहा की लिखी महात्मा गांधी की जीवनी कितनी बार पढ़ी गयी और चर्चित हुई। लेकिन गुहा की कलम से रची गयी पहली जीवनी वेरियर एल्विन (1902- 1964) की थी। यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई समाप्त करके ईसाई प्रचारक के रूप में भारत आया। फिर यहीं का होकर रह गया। वह धर्म प्रचार छोड़कर गांधी के पीछे चल पड़ता है। उसने भारतीय आदिवासियों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वह उन्हीं में विवाह करता है। भारत की नागरिकता लेता है और अपने समर्पित कार्यों की बदौलत भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू का विश्वास जीतता है। साथ ही उस विश्वास पर खरा उतरता है।

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