Setu Vichar Jaiprakash Narayan by Sheodayal
Setu Vichar Jaiprakash Narayan by Sheodayal
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गांधी जी के बाद जयप्रकाश नारायण देश में सबसे बड़े सत्ता विरक्त जन नेता थे। लोकतन्त्र को मूल्य और व्यवस्था के रूप में वास्तविक बनाने, उसे मानव मुक्ति का सुलभ साधन बनाने के लिए उन्होंने अपना जीवन लगा दिया। लोकतन्त्र को लेकर जितनी भी संकल्पनाएँ हो सकती हैं, उन सब पर उन्होंने विचार किया है। गांधी जी ने 1940 में कहा था-मार्क्सवाद के विषय में जो जयप्रकाश नहीं जानते उसे भारत में दूसरा कोई नहीं जानता। यही बात लोकतन्त्र के विषय में भी कही जा सकती है-जयप्रकाश लोकतन्त्र के बारे में जितना जानते हैं और समझते हैं, जिस गहनता और व्यापकता से उन्होंने इस पर विचार किया है, वह अन्यतम और अतुलनीय है। वे कहते हैं-‘ लोकतन्त्र एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें अधिकतम लोग अपना अधिकतम शासन कर सकें।’ इस छोटी सी, किन्तु सारगर्भित परिभाषा में लोकतन्त्र के मूल्य, उद्देश्य और लक्ष्य एक ही साथ स्पष्ट हो जाते हैं। इसी लक्ष्य के लिए वे वैचारिक रूप से, चिन्तन के स्तर पर तथा कर्म के स्तर पर भी जीवन के अन्तिम क्षणों तक सक्रिय और समर्पित रहे। भारत के अतीत, परम्पराओं तथा वर्तमान की वास्तविकताओं के अनुरूप लोकतान्त्रिक शासन के वैकल्पिक मॉडल की खोज में लगे रहे।
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Author | Sheodayal |
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Binding | Paperback |
Language | Hindi |
ISBN | 9789393758033 |
Pages | 528 |
Publisher | Setu Prakashan Samuh |
Publication date | 10-02-2024 |
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सच्चिदानन्द सिन्हा छात्र जीवन में ही समाजवादी आन्दोलन से जुड़ गये। प्रारम्भ में मजदूर और किसान आन्दोलन में सक्रिय रहे । पाँच दशक से अधिक समय से लिखते रहे हैं। मूर्धन्य समाजवादी चिन्तक सच्चिादा जी की प्रकाशित पुस्तकें हैं : समाजवाद के बढ़ते चरण, जिन्दगी : सभ्यता के हाशिये पर, उपभोक्तावादी संस्कृति, भारतीय राष्ट्रीयता और साम्प्रदायिकता, मानव सभ्यता और राष्ट्र राज्य, नक्सली आन्दोलन का वैचारिक संकट, संस्कृति विमर्श । (अँग्रेजी में) द इण्टरनल कॉलोनी, सोशलिज्म ऐण्ड पॉवर, द बिटर हार्वेस्ट, एमरजेंसी इन पर्सपेक्टिव, द परमानेण्ट क्राइसिस ऑफ इण्डिया, केओस एण्ड क्रियेशन, कास्ट सिस्टम: मिथ्स, रिएलिटी, चैलेंज; द एडवेंचर्स ऑफ लिबर्टी, कोएलिशन इन पॉलिटिक्स, द अनार्ड प्रोफेट, सोशलिज्म : ए मैनिफेस्टो फॉर सर्वाइवल । लेखक बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के ग्राम मनिका में रहते हैं।
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