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Strigatha By Prem Ranjan Animesh

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स्त्रीगाथा (उपन्यास) – प्रेम रंजन अनिमेष

उनकी नयी कृति स्त्रीगाथा, दो हिस्सों में विभाजित, यह उपन्यास, जैसा कि नाम से जाहिर है, स्त्री की व्यथा-कथा और उसके आत्म-सम्मान तथा स्वतन्त्र अस्मिता के उसके संघर्ष की एक दास्तान कहता है, यों तो ऐसी रचनाओं की कमी नहीं, जो स्त्री की वेदना से बुनी हुई हैं, उसकी पीड़ा और उसके संघर्ष को शब्द देती हैं, स्त्री की पक्षधरता में मुखर हैं और इस तरह स्त्री विमर्श का एक आख्यान रचती हैं।
प्रेम रंजन अनिमेष का यह उपन्यास स्त्री विमर्श का पात्र होते हुए भी, ऐसी बहुत सी रचनाओं से थोड़ा अलग हटकर, और विशिष्ट है। इसमें रचनाशीलता की कीमत पर विमर्श का मोह नहीं पाला गया है। और यही वजह है कि इस उपन्यास की कथाशीलता कहीं भी क्षतिग्रस्त नहीं होती।
इसका यह अर्थ नहीं कि इसमें विचार हाशिये पर या नेपथ्य में है। सच यह है कि यह उपन्यास सरोकार को अनुस्यूत करते हुए उसे बल प्रदान करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है

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Description

Strigatha (novel) By Prem Ranjan Animesh

स्त्रीगाथा (उपन्यास) – प्रेम रंजन अनिमेष

नींद में हैरान-परेशान करने वाले अजीबोगरीब सपने आए। उसने देखा कि वह एक ऊँची इमारत के ऊपर खड़ा है। नीचे सड़क पर भीड़ इकट्ठी है जिसमें लोग हाथ उठा-उठाकर उससे कुछ याचना कर रहे हैं। ऊपर से एक रस्सी की सीढ़ी झूल रही है जो आकाश में खिली एक पतंग से जुड़ी है। वह नीचे झाँकता है। उसे ऊँचाई से डर लग रहा है। ऊँचाई से डर जो दरअसल नीचे गिरने का डर है। किसी तरह छत की मुँडेर पकड़कर वह फिर नीचे देखता है और भीड़ में खड़े लोगों को पहचानने की कोशिश करता है। उसमें सारे चर्चित विख्यात नये-पुराने फिल्मकार खड़े हैं जो हाथ उठाकर और हाँक लगाकर उससे कोई आग्रह कर रहे हैं। वह ठीक से सुन नहीं पा रहा। पर उससे वे लोग क्या माँग सकते हैं ?

– इसी पुस्तक से

Additional information

Author

Prem Ranjan Animesh

Binding

Paperback

Language

Hindi

ISBN

9788197018183

Pages

312

Publisher

Setu Prakashan Samuh

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