Description
Strigatha (novel) By Prem Ranjan Animesh
स्त्रीगाथा (उपन्यास) – प्रेम रंजन अनिमेष
नींद में हैरान-परेशान करने वाले अजीबोगरीब सपने आए। उसने देखा कि वह एक ऊँची इमारत के ऊपर खड़ा है। नीचे सड़क पर भीड़ इकट्ठी है जिसमें लोग हाथ उठा-उठाकर उससे कुछ याचना कर रहे हैं। ऊपर से एक रस्सी की सीढ़ी झूल रही है जो आकाश में खिली एक पतंग से जुड़ी है। वह नीचे झाँकता है। उसे ऊँचाई से डर लग रहा है। ऊँचाई से डर जो दरअसल नीचे गिरने का डर है। किसी तरह छत की मुँडेर पकड़कर वह फिर नीचे देखता है और भीड़ में खड़े लोगों को पहचानने की कोशिश करता है। उसमें सारे चर्चित विख्यात नये-पुराने फिल्मकार खड़े हैं जो हाथ उठाकर और हाँक लगाकर उससे कोई आग्रह कर रहे हैं। वह ठीक से सुन नहीं पा रहा। पर उससे वे लोग क्या माँग सकते हैं ?


























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