Description
About the Author:
निर्मल वर्मा 3 अप्रैल, 1929, शिमला-25 अक्टूबर, 2005, दिल्ली प्रसिद्ध कथाकार एवं निबन्ध लेखक। इतिहास में एम.ए.। कुछ वर्ष अध्यापन। 1959 में प्राग, चेकोस्लोवाकिया के प्राच्य विद्या संस्थान और चेकोस्लोवाक जक संघ द्वारा आमंत्रित। सात वर्ष चेकोस्लोवाकिया में। कई चेक कथाकृतियों के अनवाद। कुछ वर्ष लंदन में यूरोप-प्रवास के दौरान टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए लेख और रिपोर्ताज। 1972 में वापसी। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज़ (शिमला) में फ़े’लो। 1977 में इंटरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम, आयोवा (अमेरिका) में हिस्सेदारी। माया दर्पण कहानी पर बनी फिल्म को 1973 का सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फिल्म पुरस्कार। निराला सृजनपीठ, भोपाल (1981-83) और यशपाल सृजनपीठ, शिमला (1989) के अध्यक्ष। उनके व्यक्तित्व पर बी.बी.सी. चैनल-4 पर एक फिल्म प्रसारित व इंस्टिट्यूट ऑफ कांटेंपरेरी आर्ट्स (आई.सी.ए.) द्वारा अपने वीडियो संग्रहालय के लिए उनका लंबा इंटरव्यू। कव्वे और काला पानी के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1985)। संपूर्ण कृतित्व के लिए 1993 का साधना सम्मान। सन् 1995 में उ.प्र. हिन्दी संस्थान का राममनोहर लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान। सन् 1996 में यूनिवर्सिटी ऑफ ओकलाहोमा, अमेरिका की पत्रिका द वर्ल्ड लिटरेचर के बहुसम्मानित पुरस्कार न्यूश्ताद् अवार्ड के लिए भारत से मनोनीत। भारतीय ज्ञानपीठ का मूर्तिदेवी पुरस्कार (1997) एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार (2000 ई.)। महात्मा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति भी रहे। 30 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। अनेक रचनाएँ कई भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में अनूदित।
Reviews
There are no reviews yet.