Yaar Mera Haj Kara De – Rajindra Arora

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Yaar Mera Haj Kara De – Rajindra Arora
यार मेरा हज करा दे – राजिन्दर अरोरा

यार मेरा हज करा दे लाहौर यात्रा के बहाने देश के बँटवारे की विसंगतियों को उजागर करती है। यह यात्रा बताती है कि बँटवारा कितना दुर्भाग्यपूर्ण, त्रासद और कृत्रिम था।

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यार मेरा हज करा दे लाहौर यात्रा के बहाने देश के बँटवारे की विसंगतियों को उजागर करती है। यह यात्रा बताती है कि बँटवारा कितना दुर्भाग्यपूर्ण, त्रासद और कृत्रिम था। विभाजन के चलते लाखों परिवारों को उजड़ना पड़ा, अनजान स्थानों और पराये परिवेश में शरण पाने के लिए दर-दर भटकना पड़ा । जिन्दगी की गाड़ी को नये सिरे से पटरी पर लाने की जद्दोजहद में एक पूरी पीढ़ी खप गयी। इस तबाही के साथ ही बँटवारा भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से भी काफी त्रासद साबित हुआ। जैसा कि यार मेरा हज करा दे में वर्णित दास्तान बताती है, अपने घरबार छोड़कर पलायन को विवश हुए लोग उन स्थानों और उस परिवेश की यादों से कभी छुटकारा नहीं पा सके जहाँ उनकी जड़ें थीं। आज भी दोनों तरफ लगाव और जुड़ाव की भावना कायम है, घृणा की राजनीति के तमाम शोर और ऊधम के बावजूद । सरहद आर-पार बहती प्यार की बयार का जो अनुभव इस संस्मरण-कथा में दर्ज हुआ है वह किसी को भी रोमांचित कर सकता है।

About the Author:

इस किताब के लेखक राजिन्दर अरोरा की रुचियाँ विविध हैं। घुमक्कड़, पर्वतारोही, फोटोग्राफी और यादगार चीजों के संग्रह के शौकीन अरोरा पेशे से ग्राफिक डिजाइनर हैं। उनके साहसिक यात्रा वृत्तान्त इंडियन माउण्टेनियर तथा कई ऑनलाइन जर्नलों में प्रकाशित हुए हैं। उनकी कृतियों में शामिल हैं: एवरेस्ट ट्रेल पर एक चित्रमय कॉफी टेबल बुक, गांधी जी पर एक शोक गीत, बच्चों के लिए हिन्दी में चार काव्य पुस्तिकाएँ; इसके अलावा हिन्दी और अँग्रेजी में कहानियाँ। वह अपनी लाहौर यात्रा को सर्वाधिक यादगार मानते हैं। बेहद पढ़ाकू राजिन्दर अरोरा अपनी पत्नी और बच्चों के साथ गुरुग्राम (हरियाणा) में रहते हैं ।

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