जिनन साहब से मिलकर यह महसूस हुआ कि उन्हें बच्चों या मनुष्य मात्र के सीखने की प्रक्रिया की गहरी समझ है और इस समझ ने उनके व्यक्तित्व में एक अनूठा हलकापन उत्पन्न कर दिया है। इस मूलभूत समझ ने उन्हें गुरु गम्भीर बनाने की जगह एक ऐसा व्यक्ति बना दिया है जिससे मिलने पर आप ख़ुद कब समझदार हो गये हैं, पता नहीं चलता। उनके बच्चों के व्यवहार को लेकर किये गये शोध मौलिक तो हैं ही, तात्विक भी हैं। यानी उनके शोधों से यह पता चलता है कि बच्चे अपने चारों ओर के संसार को तत्त्वत: कैसे समझते हैं। जिनन साहब यह मानते हैं कि सीखने की प्रक्रिया मनुष्य समेत हर प्राणी में होती है। यानी सीखना सांस्कृतिक कर्म नहीं है, वह नैसर्गिक प्रक्रिया है।सीखना जैविक प्रक्रिया है। सभी जीवित प्राणी निरन्तर सीखते हैं।