मैंने अब तक जिन दुर्लभ मनीषियों से ‘इण्टरव्यू’ लिये हैं उनमें से एक हैं, कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी । अशोकजी के अनगिनत चाहने वालों में मैं भी उनका एक मुग्ध प्रशंसक हूँ। पुस्तक में चुने हुए ग्यारह संवाद सम्मिलित हैं। इन संवादों के झरोखे से अशोकजी के अन्तर्मन को समझने की कोशिश हुई है।
संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी के बहुआयामी व्यक्तित्व को जानने की चाह के चलते कथाकार कृष्णा सोबती के साथ-साथ ललित सुरजन, रमेश नैयर और विनोद शाही से छबि-संग्रह, साहित्यिक पत्रकारिता, वक्तृत्व कला पर आमने-सामने बैठकर ‘साक्षात्कार’ लेने का सुयोग मुझे मिला। विश्व कविता समारोह, कई कला प्रदर्शनियों और शानदार नाटकों के मंचन सहित भारत भवन में आयोजित होने वाली अनेकानेक विचार गोष्ठियाँ अप्रतिम रही हैं।