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APNI TALASH KA HASIL – Rajendra Toki – Gazal Sangraha
Apni Talash Ka Hasil -rajendra Toki- Gazal Sangraha
अपनी तलाश का हासिल – राजेन्द्र टोकी
“कैसा है बो शख़स कि जिसके पास अगर बैठो
घंटो उसकी बातें सुनना अच्छा लगता है
ऐसा क्या है जिसकी ख़ातिर जिये जाते हैं
सब कुछ जबकि इस दुनिया में देखा लगता है
अजगर, गिरगिट, लोमड़ अपनी ज़ात पे शर्मिन्दा
नेताओं ने इनका रुतवा छीना लगता है…”
-इसी पुस्तक से₹249.00 -
Majmua – Ahmad Mushtaq
मज्मूआ – अहमद मुश्ताक़ – लिप्यन्तरण एवं सम्पादन – गोविन्द प्रसाद
चन्द बातें और अहमद मुश्ताक़
‘मज्मूआ’ अहमद मुश्ताक़ की शायरी का नक़्शे-अव्वली है – अलबयान पब्लिकेशंज लाहौर के ज़ेरे-एहतिमाम 1966 ई. में मा’रि वजूद में आया। इसमें 1952 ई. से लेकर 1966 ई तक की ग़ज़लें अ अशआर शामिल किये गये हैं। ये वो ज़माना है जब ग़ज़ल के रंग आहंग में तब्दीलियाँ पैदा हो रही थीं और ग़ज़ल नये तेवर के स शायरी के उफ़ुक़ पर अपना जलवा बिखेरने में मसरूफ़ थी।
₹199.00 -
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Aakhiri Pahar Ki Dastak – Shamim Hanfi (Paperback)
Aakhiri Pahar Ki Dastak – Shamim Hanfi
`आख़िरी पहर की दस्तक` उर्दू भाषा के प्रसिद्ध साहित्यालोचक `शमीम हनफ़ी` की आख़िरी कृति है। उनकी काव्य-रचना की दुनिया में परम्परा की लगातार अन्तर्ध्वनियाँ हैं और नयी रंगतें भी। कविता की सीमाओं का तीख़ा अहसास भी उनके यहाँ हैं।₹200.00 -
Aakhiri Pahar Ki Dastak – Shamim Hanfi
Aakhiri Pahar Ki Dastak – Shamim Hanfi
`आख़िरी पहर की दस्तक` उर्दू भाषा के प्रसिद्ध साहित्यालोचक `शमीम हनफ़ी` की आख़िरी कृति है। उनकी काव्य-रचना की दुनिया में परम्परा की लगातार अन्तर्ध्वनियाँ हैं और नयी रंगतें भी। कविता की सीमाओं का तीख़ा अहसास भी उनके यहाँ हैं।₹380.00 -
JAAG UTHE KHWAB KAI By Sahir Ludhiyanvi
जाग उठे ख़्वाब कई के प्रकाशन से पहले साहिर लुधियानवी की मुकम्मल शायरी नागरी लिपि में उपलब्ध नहीं थी। इस संकलन में उनकी क्लासिक मानी गयीं नज्मों के साथ मुकम्मल शायरी संग्रहीत हैं। साथ ही उनके 115 बेहद लोकप्रिय दिलकश कलात्मक फ़िल्मी गीत भी शामिल किये हैं।
₹600.00