Showing 21–40 of 41 results

  • Isiliye Bachi Hui Hai Prithvi Ab Tak By Anup Kumar

    इसलिए बची हुई है पृथ्वी अब तक

    इस संग्रह और इससे पूर्व की कविताएँ इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं कि अनूप कुमार सूक्ष्मतम पर्यवेक्षण और जीवनधर्मी विवेक के कवि हैं। उनकी कविताओं में अभिव्यक्त राजनीतिक चेतना यह संकेतित करती है कि वे जीवन और समाज में होने वाली गतिविधियों और घटनाओं को एकांगी दृष्टि से नहीं देखते। इसीलिए उनकी कविताएँ एकरैखिक न होकर बहुस्तरीय और संश्लिष्ट हैं। वे आपको विचलित करती हुई अवाक् कर देती हैं। आप एकाएक सन्नाटे में आ जाते हैं और सामने दीखती हुई चमक के पीछे की कालिमा आपकी पुतलियों के सामने….

    213.00250.00
  • Eekh Chusta Ishwar By Hemant Kukreti – Hardcover

    Eekh Chusta Ishwar By Hemant Kukreti

    323.00380.00
  • Muktigaatha Namdeo Dhasal (Paperback)

    Muktigaatha Namdeo Dhasal (Paperback)

    मुक्तिगाथा नामदेव ढसाल

    मराठी के विख्यात कवि नामदेव ढसाल की कविताओं के नये चयन का हिंदी अनुवाद में प्रकाशन एक महत्त्वपूर्ण घटना है। चयनकर्ता एवं अनुवादक सुपरिचित लेखक निशिकान्त ठकार हैं। पहले भी नामदेव ढसाल के बहुत प्रभावशाली चयन हिंदी में आए हैं। आज फिर इस नये चयन को पढ़ते हुए लगता है कि हर थोड़े अंतराल पर नये और किंचित् भिन्न अनुवादों के आने से लक्ष्य भाषा में नयी संपन्नता आती है; साथ ही एक बिल्कुल नये स्वर का हठात् प्रवेश उस भाषा को हिलोड़कर एक बार फिर अपना ही आत्म-परीक्षण करने को विवश करता है। नामदेव ढसाल के इस संकलन का इस समय प्रकाशन इसीलिए विशेष महत्त्व रखता है।

    275.00
  • Kya Bane Baat – Leeladhar Mandloi (Hardcover)

    Kya Bane Baat – Leeladhar Mandloi – Hardcover

    प्रस्तुत पुस्तक लीलाधर मंडलोई का नवीन कविता संग्रह है। इस संग्रह की हर कविता चित्र, रंग, रेखा, संगीत के सही योग के लिए भटकते एक रंगनायक की सफल यात्रा है, जो रंग और शब्द से जो प्रे है उसकी खोज में निकला है।

    300.00400.00
  • Is Duniya Ko Sundar Banane Mein Laga Hoon – Mahesh Alok

    Is Duniya Ko Sundar Banane Mein Laga Hoon – Mahesh Alok

    इस दुनिया को सुंदर बनाने में लगा हूँ महेश आलोक का तीसरा कविता का संग्रह है। इन कविताओं का केन्द्रीय विषय है दुख, जिसके माध्यम से उन्होंने समाज को समझने, उसकी भीतरी गतिशीलता को रेखांकित करने और परिवर्तनों की और संकेत करने का बहुत सार्थक उपक्रम किया है।

    314.00349.00
  • Bhinsar – Gyanendrapati

    Bhinsar – Gyanendrapati
    भिनसार – ज्ञानेन्द्रपति

    भिनसार समकालीन कविता-परिदृश्य में अपनी तरह के अकेले कवि ज्ञानेन्द्रपति का अनूठा संकलन है। इस संग्रह की कविताएँ किसी चीज या केन्द्रीय भाव या अनुभव के विकसित होने की प्रक्रिया की कविताएँ हैं

    298.00350.00
  • Dhuri Se Chhooti Aah By Leena Malhotra

    Dhuri Se Chhooti Aah By Leena Malhotra
    धुरी से छूटी आह – लीना मल्होत्रा

    न्दी कविता के समकालीन संसार में लीन मल्होत्रा एक नितान्त भिन्न स्वर और आस्वाद की कवयित्री हैं। प्रेम जैसे शाश्वत समझे जाने वाले विषय को ये अनूठी नव्यता और समकालीन प्रदान करती हैं।

    221.00260.00
  • Khojo to Beti Papa Kahan hai By Dhruva Shukla

    Khojo to Beti Papa Kahan hai By Dhruva Shukla
    खोजो तो बेटी पापा कहाँ हैं – ध्रुव शुक्ल

    45.00
  • Jitani Hansi Tumhare Honthon Par – Jitendra Shrivastava

    उ.प्र. के देवरिया जिले की रुद्रपुर तहसील के गाँव सिलहटा में जन्म । बी.ए. तक की पढ़ाई गाँव और गोरखपुर में की। तत्पश्चात जे.एन.यू., नयी दिल्ली से हिंदी साहित्य में एम.ए., एम.फिल. और पी-एच.डी.। हिंदी और भोजपुरी में लेखन-प्रकाशन। इन दिनों हालचाल, अनभै कथा, असुंदर सुंदर, बिल्कुल तुम्हारी तरह, कायांतरण, कवि ने कहा, बेटियाँ, उजास (कविता संग्रह), भारतीय समाज, राष्ट्रवाद और प्रेमचंद, शब्दों में समय, आलोचना का मानुष-मर्म, सर्जक का स्वप्न, विचारधारा, नये विमर्श और समकालीन कविता, उपन्यास की परिधि, रचना का जीवद्रव्य, कहानी का क्षितिज, कविता का घनत्व (आलोचना), शोर के विरुद्ध सृजन (ममता कालिया का रचना संसार), प्रेमचंद : स्त्री जीवन की कहानियाँ, प्रेमचंद : दलित जीवन की कहानियाँ, प्रेमचंद: स्त्री और दलित विषयक विचार,

    180.00200.00
  • Ghadi Mein Samay By Swapnil Shrivastava Paperback

    Ghadi Mein Samay By Swapnil Shrivastava
    घड़ी में समय – स्वप्निल श्रीवास्तव

    135.00150.00
  • Ghadi Mein Samay By Swapnil Shrivastava

    Ghadi Mein Samay By Swapnil Shrivastava
    घड़ी में समय – स्वप्निल श्रीवास्तव

    234.00260.00
  • Eekh Chusta Ishwar By Hemant Kukreti

    Eekh Chusta Ishwar By Hemant Kukreti

    180.00200.00
  • Charan Kamlon Ke Dour Mein – Mohan Kumar Dehriya (Paperback)

    Charan Kamlon Ke Dour Mein – Mohan Kumar Dehriya

    चरण कमलों के दौर में – मोहन कुमार डहेरिया

    126.00140.00
  • Charan Kamlon Ke Dour Mein – Mohan Kumar Dehriya

    Charan Kamlon Ke Dour Mein – Mohan Kumar Dehriya

    चरण कमलों के दौर में – मोहन कुमार डहेरिया

    203.00225.00
  • Apna Hi Desh – Madan Kashyap

    Apna Hi Desh – Madan Kashyap


    Kindle E-Book Also Available
    Available on Amazon Kindle

    130.00
  • Kya Bane Baat – Leeladhar Mandloi

    Kya Bane Baat – Leeladhar Mandloi

    प्रस्तुत पुस्तक लीलाधर मंडलोई का नवीन कविता संग्रह है। इस संग्रह की हर कविता चित्र, रंग, रेखा, संगीत के सही योग के लिए भटकते एक रंगनायक की सफल यात्रा है, जो रंग और शब्द से जो प्रे है उसकी खोज में निकला है।

    180.00200.00
  • Intzaar Mein AA Ki Matra – Naveen Rangiyal

    इंतजार में आ की मात्रा नवीन रांगियाल का कविता-संग्रह है। नवीन रांगियाल की कविताओं की विशेषता है कि वह दुख को दिल और दिमाग से सूत भर हटाते हुए मन पर जमाते हैं जो की कविताओं में सहज रूप से दिखता है।

    191.00225.00
  • Anitya Tum – Shubhasish Chakraborty

    Anitya Tum – Shubhasish Chakraborty
    अनित्य तुम शुभाशीष चक्रवर्ती की साहित्यिक रचनाओं का संग्रह है। यह किताब प्रेम, अकेलेपन और मृत्यु के विषयों के माध्यम से रोमांच और हमारी कल्पनाशीलता के दायरे को विस्तार देने की कोशिश है।

    234.00275.00
  • HINDI KAVITA AUR NAKSALWAAD By Poonam Singh

    नक्सलबाड़ी आन्दोलन ने भारतीय राजनीति में जितनी उद्दाम लहर पैदा की, उससे कहीं अधिक कला, साहित्य, संस्कृति को इसने प्रभावित किया। यह एक नया मुक्ति-संग्राम था जो स्वाधीन भारत के ठीक बीस वर्ष बाद एक छोटे से स्थान से निकलकर देश के विविध हिस्सों में जा गूँजा और फैला। नक्सलबाड़ी आन्दोलन ने एक नये देश का स्वप्न देखा, उसके लिए संघर्ष किया। संस्कृति की परिभाषा बदली। साहित्य ने अपनी दिशा बदली और कविता में क्रान्ति के स्वर गूँजने लगे । इक्कीसवीं सदी के तीसरे दशक के आरम्भ में भी अब तक अस्मिता विमर्श जारी है। विश्वविद्यालयों में स्त्री-अध्ययन के विभाग खोले जा रहे हैं। स्त्री-विमर्श के इस दौर में एक लेखिका का हिन्दी कविता और नक्सलवाद का अध्ययन-चिन्तन, विवेचन- विश्लेषण अधिक सार्थक और मूल्यवान है क्योंकि अब वर्गीय दृष्टि के तहत सोचने- विचारने वाले बहुत कम हैं। पूनम सिंह का यह अध्ययन-चिन्तन एक प्रकाश-रश्मि की तरह भी है। कविता के जरिये इस आन्दोलन को देखने-समझने की आज अधिक जरूरत इसलिए भी है कि छिटपुट ही सही देश के विभिन्न हिस्सों में सामाजिक-नागरिक आन्दोलन जारी और जीवित हैं, जहाँ हम आन्दोलनधर्मी कविताओं को लहराते और गूँजते हुए देखते हैं।

    412.50550.00
  • Apna Samay Nahin By Ashok Vajpeyi

    Apna Samay Nahin By Ashok Vajpeyi

    अपने को लिखना और अपने समय को लिखना वैसे तो दो अलग-अलग काम हैं; पर कविता में वे अक्सर घुल-मिल जाते हैं : अपने को बिना अपने समय के लिखना मुमकिन नहीं होता और अपने समय को लिखना बिना अपने को लिखे हो नहीं पाता।

    212.00250.00