O Ri Kathputli – Anju Sharma
ओ री कठपुतली – अंजू शर्मा
ओ री कठपुतली अपने परिवेश और प्रभाव, कथावस्तु और रचाव, हर लिहाज से एक बेहतरीन उपन्यास है। महानगर के अभिजात और मध्यवर्ग से लेकर झुग्गी बस्ती तक के जीवन पर कहानियाँ और उपन्यास लिखे गये हैं लेकिन आय के इस उपन्यास के पात्र और परिवेश काफी विरल हैं। यह उपन्यास एक ऐसी बस्ती की कहानी है, जो लोक कलाकारों ने बसायी है। कठपुतली नचाने, मदारी का खेल दिखाने, दीवार पर पेंटिंग करने से लेकर नट, बाजीगर, तरह-तरह के करतब व तमाशे दिखाने वाले लोक कलाकार इस बस्ती में रहते हैं। यों कठपुतली कालोनी नाम की यह बस्ती भी, नागरिक सुविधाओं की किल्लत के कारण, स्लम जैसी ही है लेकिन तरह-तरह के लोक कलाकारों की रिहाइश इसे विशिष्ट बना देती है। एक पत्रिका के लिए कवर स्टोरी लिखने के क्रम में कथानायिका का यहाँ प्रवेश होता है और फिर पाठक के सामने एक ऐसी दुनिया परत-दर-परत खुलती जाती है जहाँ जिंदगी ज्यादा बहुरंगी है, ज्यादा दिलचस्प भी। पर उतनी ही दारुण भी, जितनी एक झुग्गी बस्ती में होती है। तरह-तरह के हुनरमन्द यहाँ रहते हैं और घूम-घूमकर देश की राजधानी में रोज कहीं न कहीं अपने हुनर का प्रदर्शन करते हैं लेकिन उनका हुनर उन्हें दो जून रोटी की गारण्टी नहीं दे पाता। यह उपन्यास उनके विस्थापन का भी दर्द समेटे हुए है।