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Bail Ki Aankh – Santosh Dixit
Bail Ki Aankh – Santosh Dixit
बैल की आँख -संतोष दीक्षितत्येक समय, समाज और स्थान की अपनी गति होती है। अल्प काल की अवधि में देखने पर यह स्थिर और जड़ प्रतीत होता है परन्तु उसकी आन्तरिक हलचलें उसे निरन्तर गतिमान बनाये रखती हैं।
₹550.00 -
Ghar Badar By Santosh Dixit (Paperback)
Ghar Badar By Santosh Dixit
घर बदर, यह कुंदू यानी कुंदन दूबे की जीवन कथा है। कुंदू जो जीवन भर घर बदर रहे, केवल वे ही नहीं, उनके पुरखे तक। जीवनपर्यंत वे केवल एक अदद घर का सपना देखते हैं और देखते ही रह जाते हैं कुछ-कुछ गोदान के होरी की तरह।
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Ghar Badar By Santosh Dixit
Ghar Badar By Santosh Dixit
घर बदर, यह कुंदू यानी कुंदन दूबे की जीवन कथा है। कुंदू जो जीवन भर घर बदर रहे, केवल वे ही नहीं, उनके पुरखे तक। जीवनपर्यंत वे केवल एक अदद घर का सपना देखते हैं और देखते ही रह जाते हैं कुछ-कुछ गोदान के होरी की तरह।
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Bagalgeer By Santosh Dixit
साम्प्रदायिकता का जहर घुलते जाने से सौहार्द किस तरह नष्ट होता है और एक समय भाईचारे की मिसाल जान पड़ते रिश्ते किस तरह शत्रुता में बदल जाते हैं, ‘बग़लगीर’ इसी की दास्तान है। संतोष दीक्षित ने इस उपन्यास में जहाँ साम्प्रदायिकता के विषैले प्रभाव को दिखया है वहीँ कई जगह सेकुलर राजनीति के पाखण्ड को भी उजागर किया है।
₹650.00 -
Bagalgeer By Santosh Dixit
साम्प्रदायिकता का जहर घुलते जाने से सौहार्द किस तरह नष्ट होता है और एक समय भाईचारे की मिसाल जान पड़ते रिश्ते किस तरह शत्रुता में बदल जाते हैं, ‘बग़लगीर’ इसी की दास्तान है। संतोष दीक्षित ने इस उपन्यास में जहाँ साम्प्रदायिकता के विषैले प्रभाव को दिखया है वहीँ कई जगह सेकुलर राजनीति के पाखण्ड को भी उजागर किया है।
₹300.00