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  • WAH HANSI BAHUT KUCH KEHTI THI – Rajesh Joshi (Hardcover)

    Wah Hansi Bahut Kuch Kehti Thi – Rajesh Joshi

    मुझे लगता है कि जिस सृजनात्मक साहित्य, कला और संगीत को बाजार कमोडिटी में तब्दील नहीं कर पाता वह उससे डरता हैं। वह उसके खिलाफ तरह-तरह के प्रपंच रखता है। बाजार का यह डर दिनोदिन बढ़ रहा है।

    370.00
  • WAH HANSI BAHUT KUCH KEHTI THI – Rajesh Joshi

    Wah Hansi Bahut Kuch Kehti Thi – Rajesh Joshi

    मुझे लगता है कि जिस सृजनात्मक साहित्य, कला और संगीत को बाजार कमोडिटी में तब्दील नहीं कर पाता वह उससे डरता हैं। वह उसके खिलाफ तरह-तरह के प्रपंच रखता है। बाजार का यह डर दिनोदिन बढ़ रहा है।

    136.00160.00