Purkha Patrkaar Ka Bioscope By Nagendra Nath Gupta
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पुरखा पत्रकार का बाइस्कोप
यह एक अद्भुत किताब है. इतिहास, पत्रकारिता, संस्मरण, महापुरुषों की चर्चा, शासन, राजनीति और देश के विभिन्न हिस्सों की संस्कृतियों का विवरण यानि काफी कुछ. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है इसका कालखंड. पढ़ने की सामग्री के लिहाज से 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद से देश के राजनैतिक क्षितिज पर गांधी के उदय तक का दौर बहुत कुछ दबा-छुपा लगता है. अगर कुछ उपलब्ध है तो उस दौर के कुछ महापुरुषों के प्रवचन, उनसे जुड़ा साहित्य और उनके अपने लेखन का संग्रह. लेकिन उस समय समाज मेँ, खासकर सामाजिक जागृति और आध्यात्मिक विकास के क्षेत्र में काफी कुछ हो रहा था. अंग्रेजी शासन स्थिर होकर शासन और समाज में काफी कुछ बदलने में लगा था तो समाज के अन्दर से भी जवाबी शक्ति विकसित हो रही थी जिसका राजनैतिक रूप गांधी और कांग्रेस के साथ साफ हुआ. यह किताब उसी दौर की आंखों देखी और भागीदारी से भरे विवरण देती है. इसीलिए इसे अद्भुत कहना चाहिए.
एक साथ तब का इतना कुछ पढ़ने को मिलता नहीं. कुछ भक्तिभाव की चीजें दिखती हैं तो कुछ सुनी सुनाई. यह किताब इसी मामले में अलग है. इतिहास की काफी सारी चीजों का आंखों देखा ब्यौरा, और वह भी तब के एक शीर्षस्थ पत्रकार का, हमने नहीं देखा-सुना था. इसमें 1857 की क्रांति के किस्से, खासकर कुँअर सिंह और उनके भाई अमर सिंह के हैं, लखनऊ ने नवाब वाजिद अली शाह को कलकता की नजरबन्दी के समय देखने का विवरण भी है और उसके बाद की तो लगभग सभी बडी घटनाएं कवर हुई हैं. स्वामी रामकृष्ण परमहंस की समाधि का ब्यौरा हो या ब्रह्म समाज के केशव चन्द्र सेन के तूफानी भाषणों का, स्वामी विवेकानन्द की यात्रा, भाषण और चमत्कारिक प्रभाव का प्रत्यक्ष ब्यौरा हो या स्वामी दयानन्द के व्यक्तित्व का विवरण. ब्रिटिश महाराजा और राजकुमार के शासकीय दरबारों का खुद से देखा ब्यौरा हो या कांग्रेस के गठन से लगातार दसेक अधिवेशनों में भागीदारी के साथ का विवरण- हर चीज ऐसे लगती है जैसे लेखक कोई पत्रकार न होकर महाभारत का संजय हो.
नागेन्द्रनाथ गुप्त (जन्म १८५१ – मृत्यु २६ दिसंबर १९४०) एक प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक और पत्रिका संपादक थे।
नागेन्द्रनाथ गुप्त बिहार के मोतिहारी के रहने वाले थे। उनका मूल स्थान वर्तमान पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में हालीशहर है । उनके पिता का नाम मथुरानाथ था।
18 ईस्वी में, उन्होंने जनरल असेंबली इंस्टीट्यूशन से प्रवेश परीक्षा पास की और कुछ समय के लिए लाहौर में पढ़ाया गया। फिर 1884 में वह कराची में फीनिक्स अखबार के संपादक बने। 1891 में उन्होंने लाहौर ट्रिब्यून का संपादन किया और 1905 में इलाहाबाद में इंडियन पीपुल्स वीकली का संपादन किया। 1901 में, उन्होंने और ब्रह्मबांधव उपाध्याय ने द ट्वेंटीथ सेंचुरी नामक एक अंग्रेजी मासिक प्रकाशित किया। वह इसके संयुक्त संपादक के रूप में इंडियन पीपुल्स डेली लीडर के रूप में शामिल हुए और 1910 से दो वर्षों के लिए फिर से ट्रिब्यून का संपादन किया। वह कुछ समय के लिए प्रदीप और प्रभात के संपादक भी थे।
Additional information
ISBN
9789389830705
Author
Nagendra Nath Gupta
Binding
Hardcover
Pages
239
Publisher
Setu Prakashan Samuh
Imprint
Setu Prakashan
Language
Hindi
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