Faasiwaad Ki Dastak By RaviBhushan
फासीवाद की दस्तक – रविभूषण
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अँग्रेज़ों ने यह कार्य (विभक्तीकरण और विभेदीकरण का) अपने स्वार्थ के लिए किया था। देश पर हुकूमत क़ायम करने के लिए देशवासियों को धर्मों, मज़हबों और विभिन्न धड़ों में विभाजित करना उनके अपने लिए फ़ायदेमन्द था। स्वतन्त्र भारत में वही तरीक़ा-कभी कम, कभी अधिक अपनाया जाता रहा है। यह भारत की आत्मा को कुचलना और लहूलुहान करना है। यहीं से सद्भाव समाप्त होने लगा और दुर्भाव बढ़ने लगा। देश में चुनौतियों और संकटों का इस स्थिति में बढ़ना, बढ़ते जाना स्वाभाविक था। आज भारतीय लोकतन्त्र और ‘सेकुलरिज्म’ के समक्ष जैसी चुनौतियाँ हैं, वैसी पहले कभी नहीं थीं।
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Faasiwaad Ki Dastak By RaviBhushan
फासीवाद की दस्तक – रविभूषण
Author | Ravi Bhushan |
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Binding | Paperback |
Language | Hindi |
ISBN | 9788119899548 |
Publication date | 10-02-2024 |
Publisher | Setu Prakashan Samuh |
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मुस्लिम समाज की तरफ देखने के आज तक के सारे एक तरफा और दुराग्रही दृष्टिकोण को नकारते हुए, स्पष्ट भाषा में, बेबाक वास्तव का चित्रण कराने वाले इस उपन्यास ने विचार के स्तर पर एक नये मन्थन का आरम्भ किया है।
यह उपन्यास मुस्लिम समाज की आज की स्थिति और बहुसंख्यकों के साथ के उनके जटिल रिश्तों का भी विमर्श प्रस्तुत करता है।
मुस्लिम समाज में व्याप्त धार्मिक संकीर्णता, रूढ़िवादिता, परम्परा और उनकी कर्मठता पर भाष्य करते हुए इस समाज को वोट बैंक बनाकर रखने और इस्तेमाल करने की राजनीतिक मानसिकता को भी आड़े हाथ लेता है।
Navmanavvad : Swatantrya Aur Loktantra Ka Darshan – V. M. Tarkunde
नवमानववाद स्वातंत्र्य और लोकतंत्र का दर्शन
“‘मतिभ्रम’ एक ऐसा उपन्यास है, जिसे राजू शर्मा ने अपने रचनात्मक धीरज से सम्भव बनाया है। यह रचनात्मक धीरज भी इकहरा नहीं है, इसकी बहुस्तरीयता का आधार जीवन से गहरी आसक्ति और गम्भीर राजनीतिक समझ है। जीवन से आसक्ति और गहरी राजनीतिक समझ से निर्मित संवेदनात्मक संरचनाएँ घटनाओं को उन क्षितिजों तक पहुँचाती हैं, जहाँ तक अमूमन कथा विन्यास में उनका विन्यस्त हो पाना दुरूह होता है…”
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