तर्क के खूँटे से…
मराठी के अग्रणी कहानीकार जयंत पवार को ये लंबी कहानियाँ हाशिये बाहर के आदमी को आस्था तथा सम्मान के साथ केंद्र में रख कर मानवीयता के चरम बिंदु पर जाकर लिखी गयी जीवन गाथाएँ हैं।
ये कहानियाँ सत्ता, शोषण और साहित्य के अंतर्सबंधों की सही परख की खोज का प्रयास करती हैं। इसलिए सत्ता से निरंतर दूर रखे गये आदमी के जीवन की त्रासदियों को केंद्र में रखती हैं। शहरी परिवेश को भरी-पूरी दुनिया में साधनहीन आदमी के अकेलेपन का विकराल रूप इन कहानियों में दिखाई देता है।
जयंत पवार कहानी को मानव जीवन की जटिलता से और विषमता से जूझने का हथियार मानते हैं। मिथकों की संरचना भी सत्ता का एक रूपक होता है, यह जान कर वे मिथकों की रचना पर सवाल उठते हैं और उनसे अलग अर्थ प्रसृत करवाते हैं। कहानी के शिल्प पर भी सवाल उठाने से वे परहेज नहीं करते।
About The Author
जयंत पवार
जन्म : 1960। समकालीन मराठी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर हैं। बतौर पत्रकार अपना करियर शुरू करने वाले जयंत पवार ने मराठी फिल्म साप्ताहिक पत्रिका ‘चंदेरी’ में बतौर उपसंपादक काम किया है और सन् 1997 से लेकर वे ‘महाराष्ट्र टाइम्स’ में कार्यरत हैं।
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