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  • Ek Raat Ka Mauqif : Ek Raat Ka Sath by Dr. Shakeel

    डॉ. शकील के अफ़साने खुशगवार झोंके की तरह सामने आए हैं।… उनकी बड़ी ख़ासियत यह है कि वह अच्छी तरह जानते हैं, उन्हें क्या नहीं लिखना है। लिखना तो बहुत लोग जानते हैं, मगर इसकी जानकारी कम लोगों को होती है कि उन्हें क्या नहीं लिखना है। डॉ. शकील के यहाँ मुझे एक तरह का CRAFTMANSHIP दिखाई देता है। यह खसूसीयत बहुत रियाज के बाद आती है… मुझे खुशी है कि उर्दू अफ़सानानिगारी में एक ऐसे नाम का इजाफा हो रहा है, जिनके अफ़साने नये रंगो-आहंग (बिम्ब) से मुजय्यन (सुसज्जित) हैं।

    – अब्दुस्समद

    डॉ. शकील साहब की कहानियाँ हमारे समय की नब्ज़ पर उँगली रखती हैं। ये कहानियाँ हमारे समय और हमारी दुनिया का कार्डियोग्राम हैं।… यहाँ बहुत बारीकी और संवेदना से हिंसा और अमानवीय स्थितियों में छटपटाते स्त्री-पुरुष, उनके संघर्ष और कई बार जीत को प्रस्तुत किया गया है जो समकालीन कथा जगत् के लिए एक विरल घटना है। मूलतः उर्दू में लिखी यह कहानियाँ उर्दू और हिन्दी दोनों ही परम्पराओं से रस ग्रहण करती हैं… डॉ. शकील इन कहानियों के साथ डॉक्टर-कथाकारों की उस महान् परम्परा को आगे बढ़ाते हैं, जिसमें पहले चेखव, समरसेट मॉम, बनफूल सरीखे कथाकार हो गये हैं।
    – अरुण कमल
    यह डॉ. शकील का पहला कहानी संग्रह है।… कहानियाँ बहुत सादा जुबान में लिखी गयी हैं, लेकिन कहानी बुनने की कला पर ध्यान न जाना मुमकिन नहीं… कहानीकार अपने आपको अकेली आवाज़ नहीं, बल्कि सरहदों और वक़्तों के आर-पार फैले आवाज के समन्दर का क़तरा मानता है। आपको वह उस संवेदना लोक की झलक दिखलाना चाहता है, जिसका वह वासी है।
    -अपूर्वानंद
    डॉ. शकील उर्दू, हिन्दी और अँग्रेजी के साथ कई इलाक़ाई बोलियों का भी इल्म रखते हैं जिससे इन्हें अपने किरदारों के अलग-अलग रूप पेश करने में आसानी होती है। वह अफ़साने के उस्लूब (शैली) और उसकी रिवायत को समझते हैं, लिहाजा कहानी में सादगी के साथ फ़न्नी जब्त (कलात्मक नियन्त्रण) और एहतियात का हर जगह लेहाज रखते हैं।
    -सफ़दर इमाम क़ादरी
    171.00190.00
  • Vang Chii By Manish Vaidya

    ये कहानियाँ उत्तर भूमण्डलीकृत हमारे समाज का वीभत्स, क्रूर लेकिन मुस्कराता और अपनी चमक- दमक से हमें लुभाता हुआ चेहरा हमारे सामने लाता है। मानवीय संवेदनाओं के चितेरे मनीष ने आज के दौर को अनूठे ढंग और खूबी से प्रस्तुत किया है और उसमें भी वे ख़ासकर छोटे-छोटे हुनरमन्द लोगों के रोजगार के कम या बन्द होने की चिन्ता को कहानी की केन्द्रीय चिन्ता बनाकर बड़े फ़लक पर ले जाते हैं या लगातार टूटते गाँव-क़स्बों को जिस शिद्दत और अपनेपन से सामने रखते हैं, वह साबित करता है कि अपने गाँव की मिट्टी से जुड़े रहने के साथ मनीष समाज में तेजी से घट रहे बदलावों और छोटे तथा दबे-कुचले लोगों के लिए सतत क्रूर होते जा रहे समय की नब्ज़ को पहचानते हैं और अपने किरदारों के जरिये उन्हें अपनी कहानियों में जगह देते हैं। दुनिया के एक बाजार में तब्दील होते जाने और हमारे बीच से मनुष्यता, प्रेम और करुणा के कमतर होते जाने की पीड़ा को व्यक्त करती बड़बोलेपन और नारेबाज़ी से दूर उनकी यथार्थवादी कहानियों में विचार अण्डरटोन में भीनी गन्ध की तरह पाठक को छूकर निकल जाता है लेकिन उस गन्ध की महक गहरे तक धँसकर पाठक के मन में लम्बे वक़्त तक बनी रहती है।
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    234.00275.00
  • Bharatpur Lut Gayo By Vibha Rani

    भरतपुर लुट गयो नया कहानी संग्रह है प्रख्यात कथाकार विभा रानी का। उनकी कथा-सामर्थ्य का
    एक और साक्ष्य । इस पुस्तक में संकलित कहानियों को किसी एक सूत्र में नहीं बाँधा जा सकता, पर यही
    इस संग्रह की खूबी और ताकत भी है। इन कहानियों में किसी किस्म का कोई दोहराव नहीं है, न अन्तर्वस्तु का और न ही भाषा व शैली का ।
    हर कहानी का कथ्य और परिवेश अन्य सब कहानियों से अलग है। शिल्प की विविधता भी भरपूर है, जिसमें वर्णन और आख्यान से लेकर इकबालिया बयान तक,
    अनेक रंग-ढंग शामिल हैं। पात्रों और परिवेश के मुताबिक भाषा और शैली बदल जाती है।
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    200.00250.00
  • Pagdandi By Shraddha Thavait

    पगडण्डी – श्रद्धा थवाईत

    इधर कुछ बरसों से हिन्दी में लिखी जा रही अधिकांश कहानियाँ दो तरह की अति का शिकार हैं। एक श्रेणी उन कहानियों की है जो हद दर्जे की अमूर्त हैं, किसी कथाभूमि के बगैर हवा में तिरती हुई । निराकार । दूसरी श्रेणी उन कहानियों की है जो ठोस कथाभूमि पर खड़ी तो रहती हैं पर इतनी ठस होती हैं कि उनमें प्रतीक, व्यंजना और अन्यार्थ की गुंजाइश नहीं होती । खुशी की बात है कि श्रद्धा थवाईत की कहानियाँ इन दोनों अतियों या कमजोरियों से मुक्त हैं। उनका यह कहानी संग्रह पगडण्डी इसका साक्ष्य है। इस संग्रह की कहानियों में जहाँ अन्तर्वस्तु का विस्तार है वहीं भाषा और शिल्प में एक सहज पारदर्शिता है जो कहानियों को काफी पठनीय बनाती है और पाठक को बरबस बाँधे रखती है।

    254.00299.00
  • Kalam By Hariyash Rai

    “हरियश राय की कहानियाँ हमारे आज के सामाजिक परिवेश का आकलन करती हुई उन मूल्यों की शिनाख्त करती दिखाई देती हैं जो मनुष्यता और विवेकपरकता के लिए सबसे ज़रूरी हैं। हरियश राय यह शिनाख़्त बहुत धैर्य और संयम के साथ करते हुए दिखाई देते हैं। उनकी कहानियाँ हमारे आज के बदलते समय में गुम हो रही मनुष्यता और संवेदनशीलता को सामने लाकर पाठकों की समझ को बदलने का आधार देती हैं ”


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    213.00250.00
  • Fani Baaki -Shamsur Rahman Faruqi

    Fani Baaki – Shamsur Rahman Faruqi

    फ़ानी बाक़ी – शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी

    इस किताब का मुख्य आकर्षण फ़ारुक़ी साहब की लम्बी कहानी ‘फ़ानी बाक़ी’ है। यह कहानी खुद फ़ारुक़ी साहब की बाक़ी कहानियों से अलग है। वे मनुष्य के अन्तस की गहराई में काँपती मुक्ति की आकांक्षा की ओर अपनी दूसरी कहानियों में भी किसी न किसी तरह से इशारे करते ही थे, लेकिन ‘फ़ानी बाक़ी’ में वे इस आकांक्षा के ठीक सामने जा खड़े हुए हैं। इस एनकाउण्टर की रोशनी से फ़ारुक़ी साहब ने एक विलक्षण कल्पना लोक की रचना की है। यह कल्पना लोक वास्तविक न होते हुए भी अपने भीतर मनुष्य की मुक्ति की आकांक्षा के सच को अपने हर रेशे में थामे रखता है। यहीं से इस कहानी का सौन्दर्य और उसकी गहराई पैदा होती है।

    144.00160.00
  • Band Kothari Ka Darwaja By Rashmi Sharma

    इस संग्रह की कहानियाँ भिन्न जीवन-स्थितियों एवं भिन्न मनःस्थितियों की कहानियाँ हैं। मध्य वर्ग, मजदूर वर्ग, निम्न वर्ग, समान्त वर्ग सब हैं इन कहानियों में। कहानीकार यथार्थ रचने की प्रक्रिया में भी हैं। बन्द कोठरियों के दरवाजे खुल रहे हैं।

    499.00
  • Ankaha Aakhyan By Jaya Jadwani (Hardcover)

    संग्रह की कहानियाँ मध्य वर्ग में स्त्री जीवन की नियति और त्रासदी को अपना विषय बनाती हैं। खासतौर से वैवाहिक जीवन के भीतर स्त्री जीवन को। वैसे तो पूरे समाज और सभ्यता में वैवाहिक जीवन में स्त्रियों का जीवन ज्यादा संघर्षपूर्ण, त्रासद और विडंबनात्मक होता है। परंतु मध्यवर्गीय स्त्रियाँ इस त्रासदी को ज्यादा भोगती हैं

    272.00340.00
  • Hindi Ki Prem Kahaniyan By Ed. Dr. Suchitra Kashyap (PaperBack)

    Hindi Ki Prem Kahaniyan By Ed. Dr. Suchitra Kashyap

    153.00170.00
  • Hindi ki prem kavitayein By Ed. Dr. Suchitra Kashyap

    Hindi ki prem kavitayein By Ed. Dr. Suchitra Kashyap

    170.00
  • Jab Bhi Deh Hoti Hu – Navneet Pandey

    Jab Bhi Deh Hoti Hu – Navneet Pandey

    162.00180.00
  • Ek Chhoti Si Khabar – Dileep Kaur Tiwana

    Ek Chhoti Si Khabar – Dileep Kaur Tiwana

    60.00