कार्तिक की कहानी – पीयूष दईया
‘कार्तिक की कहानी’ दरअसल उत्तराखण्ड के अन्तर्वर्ती क्षेत्र, उसके जटिल परिवेश, दुर्गमता और उसकी आपदाओं की कहानी है। यह कहानी भूकम्प से जूझने और अपने को बचाने की भी है। संवेदनशील और सृजनशील शिक्षकों और उनके विद्यार्थियों के संयुक्त मोर्चे की कहानी है, जिसमें वे दृष्टिवान तरीक़े से आम ग्रामीणों को जोड़ते हैं। यह कहानी से ज़्यादा हिमालय का यथार्थ है। कार्तिक का पहला शिक्षक उसका परिवेश है। उसके दोस्त अरिन, आकाश, ऋचा तथा अन्य एक दूसरे से सीखते हैं। ये बच्चे बहुत से कठिन सवाल पूछते हैं। जैसे कि बड़े लोग ही उनका पाठ्यक्रम क्यों बनाते हैं? क्यों गाँव में मोबाइल आ गया है पर बिजली नहीं आयी ? उनके चारों ओर का परिवेश और शिक्षक इन बच्चों को समझदार बनाते हैं। सृजनशीलता का स्त्रोत भी इस माहौल में फूट पड़ता है। तैयारी, समझदारी तथा सामूहिकता बोध से वे आपदा से सबको बचाने के तरीके ढूँढ़ लेते हैं।
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