Description
कमलेश की कहानियों में अगर प्रेमचन्द का वैचारिक ताप है, तो रेणु का लोकरंग भी उसी ठाठ के साथ मौजूद है। इन कहानियों से गुजरने का अर्थ है उस भारत की आत्मा से साक्षात्कार जिसे सायास नेपथ्य में धकेल दिया गया है। ये कहानियाँ मनुष्यता के पक्ष में एक ऐसा आह्वान है, जिसे अनसुना नहीं किया जा सकता।
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कमलेश की कहानियों में अगर प्रेमचन्द का वैचारिक ताप है, तो रेणु का लोकरंग भी उसी ठाठ के साथ मौजूद है। इन कहानियों से गुजरने का अर्थ है उस भारत की आत्मा से साक्षात्कार जिसे सायास नेपथ्य में धकेल दिया गया है। ये कहानियाँ मनुष्यता के पक्ष में एक ऐसा आह्वान है, जिसे अनसुना नहीं किया जा सकता।
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