प्रस्तुत उपन्यास ‘हिंसा’ में इयायी ने नाइजीरियाई समाज की राजनीतिक और सामाजिक संरचना में व्याप्त हिंसा को उजागर किया है जो कहीं दृश्य तो कहीं अदृश्य रूप से समाज के उन तबकों को प्रभावित करती है जो आमतौर पर हाशिये पर हैं। वह तबका कितने स्तरों पर इसका प्रतिरोध करता है और सत्ताधारी वर्ग का एक हिस्सा कैसे उसकी प्रतिरोध क्षमता को नष्ट करने की साजिशों में लगा है, इसका सटीक चित्रण इस उपन्यास में मिलता है। इस उपन्यास का अनुवाद हिन्दी में आनन्द स्वरूप वर्मा द्वारा किया है।
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फेस्टस इयायी/Festus Iyay
सामाजिक, राजनीतिक और अकादमिक क्षेत्र में समान रूप से सक्रिय प्रगतिशील नाइजीरियाई कथाकार फेस्टस इयायी का 12 नवम्बर 2013 को एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। 1947 में जन्मे इयायी नाइजीरिया के बेनिन विश्वविद्यालय में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन विभाग में प्रोफेसर थे और लम्बे समय तक उन्होंने एकेडमिक स्टाफ यूनियन ऑफ यूनिवर्सिटीज (एएसयूयू) के अध्यक्ष का पद सँभाला था। वोले सोयिंका और चीनुआ एचेबे के बाद की पीढ़ी के फेस्टस इयायी ने कहानियों और उपन्यासों के अलावा विश्व बैंक तथा अन्तरराष्ट्रीय मुद्राकोष द्वारा संचालित नवउदारवादी आ्थिक नीतियों के खिलाफ लगातार लिखा और तीसरी दुनिया के देशों को इसके खतरे से आगाह किया।
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