Nishad Samaj Ka Vrihat Itihas
₹595.00₹700.00
In stock
Nishad Samaj Ka Vrihat Itihas By Cho. Lautanram Nishad (चौधरी लौटन राम निषाद)
‘निषाद जाति का वृहत् इतिहास’ भारतीय संस्कृति और इतिहास की उन प्राचीनतम परतों की पड़ताल है, जिन्हें आर्य संस्कृति के नीचे दबा दिया गया है। या यूँ कहें कि सांस्कृतीकरण की प्रक्रिया के दौरान हड़प लिया गया है । इसकी पुष्टि सुनीति कुमार चटर्जी, कुबेरनाथ राय, रांगेय राघव, आचार्य चतुरसेन सहित विदेशी मूल के अनेक ख्यातिनाम लेखकों/ इतिहासकारों के अलावा उन धर्म- ग्रन्थों से भी होती है, जिन्हें आज भारतीय संस्कृति का आधार माना जाता है।
SKU: | Nishad Samaj Ka Vrihat Itihas |
---|---|
Category: | History |
ISBN | 9788119127986 |
---|---|
Author | Cho. Lautanram Nishad |
Binding | Paperback |
Pages | 624 |
Publication date | 27 September 2023 |
Publisher | Setu Prakashan Samuh |
Language | Hindi |
Related products
-
Sawarna Aur Awarna Ki Utpatti – Suvira Jaiswal
Sawarna Aur Awarna Ki Utpatti – Suvira Jaiswal
प्रो. सुवीरा जायसवाल ने जाति-व्यवस्था पर अपने शोधों को प्रस्तुत किया था। उन्होंने धर्म, वर्ण, जाति और जेण्डर पर उपलब्ध साक्ष्यों के आलोक में विस्तृत विमर्श करने के पश्चात उनके अन्तर्सम्बन्धों को उजागर किया है।
₹350.00 -
Chauri-Chaura Par Aoupniveshik Nyay
Chauri-Chaura Par Aoupniveshik Nyay By Subhash Chandra Kushvaha
चौरी चौरा पर औपनिवेशिक न्याय-₹699.00 -
Akhiri Mughal Badshah Ka Court-Marshal By Rajgopal Singh Verma
इस पुस्तक में बहादुर शाह ज़फ़र के सम्प्रभु स्तर, भले ही वह नाममात्र का हो, की अन्तरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और विदेशी कानूनों के परिप्रेक्ष्य में विवेचना की गयी है। अन्य उन कारकों का भी विश्लेषण किया गया है जिससे साबित होता है कि इस भारतीय बादशाह के विरुद्ध फिरंगी शासकों ने मनमानी, गैरकानूनी तथा अवैधानिक कार्यवाहियाँ की थीं, जिसको कोई भी सभ्य विश्व समुदाय सहमति नहीं दे सकता। साथ ही बहादुर शाह ज़फ़र पर चलाये गये इस अवैधानिक मुकदमे – कोर्ट- मार्शल की सरकारी कार्यवाही का पूरा विवरण भी परिशिष्ट के रूप में उपलब्ध कराया गया है। इस कार्यवाही को पढ़ने, सरकारी पक्ष, साक्ष्यों, अभिलेखों और प्रक्रियाओं के अवलोकन से ही ब्रिटिश प्रशासन की नीयत और मंशा आसानी से समझ आ जाती है। उम्मीद है कि 1857 के संघर्ष और पहली व्यापक क्रान्ति के सन्दर्भ में महत्त्वपूर्ण और जरूरी विश्लेषण के इस दस्तावेज को पाठक गम्भीरता से लेंगे।
– भूमिका से₹399.00 -
Jinna : Unki Safaltayein, Vifaltayein Aur Itihas Me Unki Bhoomika by Ishtiaq Ahmed
(20%+5% की विशेष छूट )
अपनी प्रति सुरक्षित करते समय कूपन कोड ‘JINNA’ इस्तेमाल करें और 5% की अतिरिक्त छूट का लाभ उठायें |मुहम्मद अली जिन्ना भारत विभाजन के सन्दर्भ में अपनी भूमिका के लिए निन्दित और प्रशंसित दोनों हैं। साथ ही उनकी मृत्यु के उपरान्त उनके इर्द- गिर्द विभाजन से जुड़ी अफवाहें खूब फैलीं।
इश्तियाक अहमद ने कायद-ए-आजम की सफलता और विफलता की गहरी अन्तर्दृष्टि से पड़ताल की है। इस पुस्तक में उन्होंने जिन्ना की विरासत के अर्थ और महत्त्व को भी समझने की कोशिश की है। भारतीय राष्ट्रवादी से एक मुस्लिम विचारों के हिमायती बनने तथा मुस्लिम राष्ट्रवादी से अन्ततः राष्ट्राध्यक्ष बनने की जिन्ना की पूरी यात्रा को उन्होंने तत्कालीन साक्ष्यों और आर्काइवल सामग्री के आलोक में परखा है। कैसे हिन्दू मुस्लिम एकता का हिमायती दो-राष्ट्र की अवधारणा का नेता बना; क्या जिन्ना ने पाकिस्तान को मजहबी मुल्क बनाने की कल्पना की थी-इन सब प्रश्नों को यह पुस्तक गहराई से जाँचती है। आशा है इस पुस्तक का हिन्दी पाठक स्वागत करेंगे।JINNAH: His Successes, Failures and Role in History का हिन्दी अनुवादBuy This Book Instantly thru RazorPay(20% + 5% Extra Discount Included)Or use Add to cart button Below, to use our shopping cart
₹700.00 -
Jinna : Unki Safaltayein, Vifaltayein Aur Itihas Me Unki Bhoomika – Ishtiaq Ahmed- Hardcover
(20%+5% की विशेष छूट )
अपनी प्रति सुरक्षित करते समय कूपन कोड ‘JINNA’ इस्तेमाल करें और 5% की अतिरिक्त छूट का लाभ उठायें |मुहम्मद अली जिन्ना भारत विभाजन के सन्दर्भ में अपनी भूमिका के लिए निन्दित और प्रशंसित दोनों हैं। साथ ही उनकी मृत्यु के उपरान्त उनके इर्द- गिर्द विभाजन से जुड़ी अफवाहें खूब फैलीं।
इश्तियाक अहमद ने कायद-ए-आजम की सफलता और विफलता की गहरी अन्तर्दृष्टि से पड़ताल की है। इस पुस्तक में उन्होंने जिन्ना की विरासत के अर्थ और महत्त्व को भी समझने की कोशिश की है। भारतीय राष्ट्रवादी से एक मुस्लिम विचारों के हिमायती बनने तथा मुस्लिम राष्ट्रवादी से अन्ततः राष्ट्राध्यक्ष बनने की जिन्ना की पूरी यात्रा को उन्होंने तत्कालीन साक्ष्यों और आर्काइवल सामग्री के आलोक में परखा है। कैसे हिन्दू मुस्लिम एकता का हिमायती दो-राष्ट्र की अवधारणा का नेता बना; क्या जिन्ना ने पाकिस्तान को मजहबी मुल्क बनाने की कल्पना की थी-इन सब प्रश्नों को यह पुस्तक गहराई से जाँचती है। आशा है इस पुस्तक का हिन्दी पाठक स्वागत करेंगे।JINNAH: His Successes, Failures and Role in History का हिन्दी अनुवाद₹1,999.00 -
Shahar Jo Kho Gaya – Vijay Kumar
Shahar Jo Kho Gaya – Vijay Kumar
एक शहर बहुत सारी स्मृतियों से बनता है। अपनी स्थानिकताओं से हमारे ये रिश्ते इस कदर सघन होते हैं कि कई बार तो यह समूचा परिवेश एक पहेली, तिलस्म या मिथक की तरह से लगने लगता है।
₹550.00 -
Bharat Se Kaise Gaya Buddh Ka Dharm By Chandrabhushan
औपनिवेशिक भारत में स्तूपों की खुदाई, शिलालेखों और पाण्डुलिपियों के अध्ययन ने बुद्ध को भारत में पुनर्जीवित किया। वरना एक समय यूरोप उन्हें मिस्त्र या अबीसीनिया का मानता था। 1824 में नियुक्त नेपाल के ब्रिटिश रेजिडेण्ट हॉजसन बुद्ध और उनके धर्म का अध्ययन आरम्भ करने वाले पहले विद्वान थे। महान बौद्ध धर्म भारत से ऐसे लुप्त हुआ जैसे वह कभी था ही नहीं। ऐसा क्यों हुआ, यह अभी भी अनसुलझा रहस्य है। चंद्रभूषण बौद्ध धर्म की विदाई से जुड़ी ऐतिहासिक जटिलताओं को लेकर इधर सालों से अध्ययन-मनन में जुटे हैं। यह पुस्तक इसी का सुफल है। इस यात्रा में वह इतिहास के साथ-साथ भूगोल में भी हैं। जहाँ वेदों, पुराणों, यात्रा-वृत्तान्तों, मध्यकालीन साक्ष्यों तथा अद्यतन अध्ययनों से जुड़ते हैं, वहीं बुद्धकालीन स्थलों के सर्वेक्षण और उत्खनन को टटोलकर देखते हैं। वह विहारों में रहते हैं, बौद्ध भिक्षुओं से मिलते हैं, उनसे असुविधाजनक सवाल पूछते हैं और इस क्रम में समाज की संरचना नहीं भूलते। जातियाँ किस तरह इस बदलाव से प्रभावित हुई हैं, इसकी अन्तर्दृष्टि सम्पन्न विवेचना यहाँ आद्योपान्त है।
Buy This Book Instantly thru RazorPay
(15% + 5% Extra Discount Included)₹395.00 -
Be the first to review “Nishad Samaj Ka Vrihat Itihas”
You must be logged in to post a review.