Shahar Jo Kho Gaya – Vijay Kumar
₹468.00₹550.00
Shahar Jo Kho Gaya – Vijay Kumar
एक शहर बहुत सारी स्मृतियों से बनता है। अपनी स्थानिकताओं से हमारे ये रिश्ते इस कदर सघन होते हैं कि कई बार तो यह समूचा परिवेश एक पहेली, तिलस्म या मिथक की तरह से लगने लगता है।
In stock
एक शहर बहुत सारी स्मृतियों से बनता है। अपनी स्थानिकताओं से हमारे ये रिश्ते इस कदर सघन होते हैं कि कई बार तो यह समूचा परिवेश एक पहेली, तिलस्म या मिथक की तरह से लगने लगता है। समय की गति इस तरह से अनुभव होती है कि जो कल तक मौजूद था वह अब वहाँ नहीं है। लेकिन उसकी स्मृति हमारे भीतर अब अपने नये अर्थ रचने लगती है। एक आक्रामक ग्लोबल समय में अपने जनपद, अपनी स्थानिकताओं से यह रिश्ता मुझे ज़रूरी लगता है, वह अपने होने के बोध को एक नया अर्थ देता है। मेरा यह शहर जो विकास का एक मिथक रचता है और भारतीय आधुनिकता का प्रतीक कहलाता है, शायद वह हमारी आधुनिक सभ्यता की किसी मायावी दुनिया के तमाम रहस्यों को अपने भीतर समेटे किसी अकथ विकलता को रचता है। इस शहर की बसावट, इसकी बस्तियाँ, बाज़ार, मोहल्ले, इमारतें और गलियाँ, पुल और सड़कें, इसकी पहाड़ियाँ और इसका प्राचीन समुद्र, इसके दिन और रात, शोर और निस्तब्धता, भीड़ और घनघोर अकेलापन, क्रूरताएँ और करुणा, भव्यता और क्षुद्रताएँ, स्मृति और विस्मृति, संवाद और निर्वात सब एक-दूसरे से जटिल रूप से आबद्ध हैं। मनुष्य इन्हीं सबके बीच जीता चला जाता है। यह शहर मेरे लिए एक पाठ की तरह से रहा है, जिसमें समय, स्थितियों, मनुष्य और परिवेश के रिश्तों को खोलती हुई अनेक परतें हैं। एक गहरा विश्वास रहा है कि साहित्य और कला में कोई भी स्थानिकता कभी पूरी तरह से स्थानिक नहीं होती।
About the Author:
जन्म : 11 नवम्बर 1948 (मुम्बई)। शिक्षा: एम.ए; पी-एच. डी.। चार कविता-पुस्तकें अदृश्य हो जाएँगी सूखी पत्तियाँ, चाहे जिस शक्ल से, रात पाली तथा मेरी प्रिय कविताएँ प्रकाशित। सात वैचारिक पुस्तकें साठोत्तरी हिन्दी कविता की परिवर्तित दिशाएँ, कविता की संगत, कवि-आलोचक मलयज (केन्द्रीय साहित्य अकादेमी द्वारा प्रकाशित मोनोग्राफ), अँधेरे समय में विचार (युद्धोत्तर यूरोपीय विचारकों पर निबन्ध), खिड़की के पास कवि (विश्व के 18 प्रमुख कवियों पर निबन्ध), कविता के पते ठिकाने तथा एडवर्ड सईद जन बुद्धिजीवी की : भूमिका प्रकाशित। अनेक देशी-विदेशी भाषाओं में कविताएँ और विचार- पुस्तकें अनूदित। पाकिस्तानी शायर अफजाल अहमद, समकालीन अफ्रीकी साहित्य, जर्मन चिन्तक वाल्टर बेंजामिन, फिलीस्तीनी विचारक एडवर्ड सईद तथा समकालीन हिन्दी कविता पर कुछ लघु पत्रिकाओं के विशेष अंकों का अतिथि सम्पादन । सम्मान : शमशेर सम्मान, देवीशंकर अवस्थी सम्मान, प्रियदर्शिनी अकादमी सम्मान, महाराष्ट्र हिन्दी साहित्य अकादमी सम्मान, डॉ. शिवकुमार मिश्र स्मृति सम्मान।
ISBN | 9789395160285 |
---|---|
Author | VIJAY KUMAR |
Binding | Paperback |
Pages | 470 |
Imprint | Setu Prakashan |
Language | Hindi |
Customer Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Shahar Jo Kho Gaya – Vijay Kumar”
You must be logged in to post a review.