Description
Upanyas Aur Des By Virendra Yadav
‘उपन्यास और देस’ वरिष्ठ आलोचक वीरेन्द्र यादव की साहित्यिक आलोचना की नवीनतम पुस्तक है। चार खण्डों में विभाजित रचना, उपन्यास जैसी वृहत् विधा के अध्ययन की नयी खिड़की है।
अध्ययन का यह नयापन विचार की तद्भवता के कारण है। इस पुस्तक से गुजरते हुए पाठक देखेंगे कि लेखक ने तद्भवता को मात्र एक टूल की तरह इस्तेमाल नहीं किया है। वीरेन्द्र यादव के लिए यह पूरी जीवन-दृष्टि है। यह उनकी अध्ययन-दृष्टि से होते हुए रचना के मूल्यांकन तक पसर जाती है। इससे संवाद का, जो सान्द्र रसायन तैयार होता है-वह रचनाओं के चयन में दृष्टिगोचर होता है। इस कारण ही ये हिन्दी के उन उपन्यासों का चयन करते हैं जो प्रगतिशील भावबोध के तो हैं ही, इसके साथ ही ये समाज और सभ्यता के सुसंस्कृत, पूँजीवादी, ब्राह्मणवादी स्तरणों का अतिक्रमण करते हैं। प्रगतिशीलता में पूँजीवाद, ब्राह्मणवाद का विरोध तो अन्तः स्यूत हैं ही, पर हमेशा वह सुसंस्कृत, कलात्मक हो, यह आवश्यक नहीं। यह समानान्तर कलात्मकता का निर्माण करती है। इस समानान्तर कलात्मकता की तलाश ही सम्भवतः वीरेन्द्र यादव का सर्वप्रमुख आलोचनात्मक प्रदेय है। यह पुस्तक हिन्दी उपन्यासों तक सीमित नहीं है। इसमें अँग्रेजी भाषा में लिखित भारतीय उपन्यासों को भी परखा गया है। शर्तें उपर्युक्त ही हैं। साथ ही दो सामान्य प्रवृत्तिपरक लेख भी गम्भीर पाठकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
यह पुस्तक पाठकों को संवाद के लिए आमन्त्रित करेगी-ऐसी उम्मीद है।
About The Author
वीरेन्द्र यादव
जन्म : 5 मार्च 1950, जौनपुर (उ.प्र.)
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एम.ए.
उपन्यास आलोचना में विशिष्ट स्थान, उपन्यास केन्द्रित आलोचना पुस्तक ‘उपन्यास और वर्चस्व की सत्ता’ विशेष रूप से चर्चित । प्रगतिशील साहित्य और आन्दोलन पर केन्द्रित पुस्तक ‘प्रगतिशीलता के पक्ष’ में प्रकाशित। प्रेमचन्द और ‘1857’ पर हस्तक्षेपकारी लेखन। समसामयिक साहित्यिक सांस्कृतिक परिदृश्य पर विपुल लेखन। कई आलोचनात्मक लेखों का अँग्रेजी और उर्दू में अनुवाद प्रकाशित। नवें दशक में ‘प्रयोजन’ पत्रिका का सम्पादन। ‘मार्कण्डेय की सम्पूर्ण कहानियाँ’ और ‘यशपाल का विप्लव’ का भूमिका लेखन। जान हर्सी का पुस्तक ‘हिरोशिमा’ का अँग्रेजी से हिन्दी अनुवाद। अँग्रेजी में पुस्तिका ‘दि रिवाल्युशन मिथ एण्ड रियलिटी’ प्रकाशित ।
सम्मान : देवीशंकर अवस्थी आलोचना सम्मान, उ.प्र. हिन्दी संस्थान का साहित्य भूषण सम्मान, गुलाब राय सम्मान, शमशेर सम्मान व मुद्राराक्षस सम्मान ।
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