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Periyar E.V. Ramasami : Bharat Ke Voltaire By Omprakash Kashyap Paperback

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पेरियार ई.वी. रामासामी
भारत के वॉल्टेयर – ओमप्रकाश कश्यप


पेरियार ब्राह्मणवाद के खिलाफ शूद्रजागरण के साथ-साथ द्रविड़ अस्मिता की प्रतिष्ठा के लिए भी जाने जाते हैं। पेरियार मानते थे कि जातिप्रथा और ब्राह्मण-वर्चस्व ने जो व्यवस्था कायम की


अमेरिकी इतिहासकार जॉन रैली ने ‘पेरियार दि एजीटेटिंग फेस
ऑफ अनबिलीफ’ में लिखा कि बीसवीं शताब्दी में- ‘तमिलनाडु में एक महान् सामाजिक आन्दोलन का जन्म हुआ था। उसकी भारतवर्ष के पिछले 2000 वर्षों के इतिहास में कोई मिसाल नहीं है। उस आन्दोलन के जनक पेरियार थे, द्रविड़ कड़गम के नेता। उन्होंने ही आन्दोलन का ढाँचा तैयार किया था। 50 वर्षों तक, सक्रिय राजनीति और सत्ता से दूर रहते हुए भी पेरियार दक्षिण भारत की राजनीति को लगातार प्रभावित करते रहे। यूनेस्को ने उन्हें ‘पूरब का सुकरात’ कहकर सम्मानित किया था। समर्थक उन्हें आधुनिक सन्त मानते हैं। भारतीय राजनीति और समाज में, अपने विद्रोही तेवरों के साथ उन्होंने जिस तर्कशक्ति का आगाज किया, उसके लिए यह उपमा सही बैठती है। किन्तु जिस निर्भीकता, साहस और बुद्धिमत्ता के साथ उन्होंने निरर्थक कर्मकाण्डों तथा जड़-परम्पराओं को चुनौती दी, धर्म के नाम पर गुरुडम फैलाने वालों को ललकारा, उनका योगदान उन्हें महान् फ्रांसीसी चिन्तक वॉल्टेयर के समकक्ष ठहराता है।
– इसी पुस्तक से

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Description

पेरियार ब्राह्मणवाद के खिलाफ शूद्रजागरण के साथ-साथ द्रविड़ अस्मिता की प्रतिष्ठा के लिए भी जाने जाते हैं। पेरियार मानते थे कि जातिप्रथा और ब्राह्मण-वर्चस्व ने जो व्यवस्था कायम की, वह समाज के बाकी अधिकांश हिस्से के लिए घोर अन्यायपूर्ण और इसे आमूल बदलने की ज़रूरत है।

ज्योतिबा फुले और डॉ. भीमराम अम्बेडकर की तरह ई.वी. रामासामी पेरियार भी भारत में जातिजनित सामाजिक विषमता के विरोध का पर्याय हैं। पेरियार का जन्म 17 सितम्बर 1879 को इरोड (तमिलनाडु) में हुआ था। राजगोपालाचारी और महात्मा गांधी के प्रभाव में आकर वह शुरू में काँग्रेस से जुड़े और 1920 के असहयोग आन्दोलन में जेल भी गये। लेकिन सामाजिक ढाँचे को बदलने में काँग्रेस की उदासीनता और अपने विद्रोही तेवरों के कारण पेरियार ने अलग राह चुन ली। उन्होंने धार्मिक पाखण्ड और जात-पाँत के खिलाफ आत्मसम्मान आन्दोलन (सेल्फ रेस्पेक्ट मूवमेंट) चलाया जिसने पूरे दक्षिण भारत खासकर तमिलनाडु को झकझोरकर रख दिया। पेरियार ब्राह्मणवाद के खिलाफ शूद्रजागरण के साथ-साथ द्रविड़ अस्मिता की प्रतिष्ठा के लिए भी जाने जाते हैं। पेरियार मानते थे कि जातिप्रथा और ब्राह्मण-वर्चस्व ने जो व्यवस्था कायम की, वह समाज के बाकी अधिकांश हिस्से के लिए घोर अन्यायपूर्ण है और इसे आमूल बदलने की जरूरत है। क्रान्तिकारी विचारक और विद्रोही नायक पेरियार का 24 दिसम्बर 1973 को निधन हो गया।

About the Author:

गंभीर लेखक, अध्यता ओमप्रकाश कश्यप की प्रकाशित पुस्तकों में सामाजिक आन्दोलन की पृष्ठभूमि, समाजवादी आन्दोलन के विविध आयाम, परीकथाएँ एवं विज्ञान लेखन, कल्याण राज्य का स्वप्न और मानवाधिकार आदि विशेष रूप से चर्चित हैं।

Additional information

ISBN

9789393758675

Author

Omprakash Kashyap

Binding

Paperback

Pages

608

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

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