Description
पेरियार ब्राह्मणवाद के खिलाफ शूद्रजागरण के साथ-साथ द्रविड़ अस्मिता की प्रतिष्ठा के लिए भी जाने जाते हैं। पेरियार मानते थे कि जातिप्रथा और ब्राह्मण-वर्चस्व ने जो व्यवस्था कायम की, वह समाज के बाकी अधिकांश हिस्से के लिए घोर अन्यायपूर्ण और इसे आमूल बदलने की ज़रूरत है।
ज्योतिबा फुले और डॉ. भीमराम अम्बेडकर की तरह ई.वी. रामासामी पेरियार भी भारत में जातिजनित सामाजिक विषमता के विरोध का पर्याय हैं। पेरियार का जन्म 17 सितम्बर 1879 को इरोड (तमिलनाडु) में हुआ था। राजगोपालाचारी और महात्मा गांधी के प्रभाव में आकर वह शुरू में काँग्रेस से जुड़े और 1920 के असहयोग आन्दोलन में जेल भी गये। लेकिन सामाजिक ढाँचे को बदलने में काँग्रेस की उदासीनता और अपने विद्रोही तेवरों के कारण पेरियार ने अलग राह चुन ली। उन्होंने धार्मिक पाखण्ड और जात-पाँत के खिलाफ आत्मसम्मान आन्दोलन (सेल्फ रेस्पेक्ट मूवमेंट) चलाया जिसने पूरे दक्षिण भारत खासकर तमिलनाडु को झकझोरकर रख दिया। पेरियार ब्राह्मणवाद के खिलाफ शूद्रजागरण के साथ-साथ द्रविड़ अस्मिता की प्रतिष्ठा के लिए भी जाने जाते हैं। पेरियार मानते थे कि जातिप्रथा और ब्राह्मण-वर्चस्व ने जो व्यवस्था कायम की, वह समाज के बाकी अधिकांश हिस्से के लिए घोर अन्यायपूर्ण है और इसे आमूल बदलने की जरूरत है। क्रान्तिकारी विचारक और विद्रोही नायक पेरियार का 24 दिसम्बर 1973 को निधन हो गया।
About the Author:
गंभीर लेखक, अध्यता ओमप्रकाश कश्यप की प्रकाशित पुस्तकों में सामाजिक आन्दोलन की पृष्ठभूमि, समाजवादी आन्दोलन के विविध आयाम, परीकथाएँ एवं विज्ञान लेखन, कल्याण राज्य का स्वप्न और मानवाधिकार आदि विशेष रूप से चर्चित हैं।

































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