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  • VAA GHAR SABSE NYAARA – Dhruva shukla

    VAA GHAR SABSE NYAARA – Dhruva shukla

    हिन्दी कवि कथाकार ध्रुव शुक्ल ने जो प्रयत्न किया है, वह मूल्यवान् और कुमार जी के बारे में अब तक जो लिखा-समझा गया है, उसमें कुछ नया, रोचक और सार्थक जोड़ता है।

    280.00350.00
  • GHAR JAATE by Gulammohammed Sheikh

    GHAR JAATE by Gulammohammed Sheikh

    हमारे समय के एक मूर्धन्य चित्रकार और कलाविद् गुलाममोहम्मद शेख की गुजराती से हिन्दी अनुवाद में कला-पुस्तक निरखे वही नज़र रजा पुस्तक माला में पहले प्रस्तुत की जा चुकी है।

    425.00
  • SWARMUDRA 1 & 2 (SET) – ASHOK VAJPEYI

    हम अपनी पत्रिका स्वरमुद्रा के इस बृहत् विशेषांक के माध्यम से यही करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके संगीत ने अपनी रसिकता के परिसर में सिर्फ़ संगीत प्रेमियों और संगीतवेत्ताओं को ही नहीं, अनेक अन्य अनुशासनों के समर्थ प्रयोक्ताओं को भी शामिल और रसरंजित किया था।

    400.00
  • Saanp by Ratankumar Sambharia

    Saanp by Ratankumar Sambharia
    `साँप` रत्नकुमार सांभरिया का उपन्यास है, जो हाशिए का जीवन जीने वाले खानाबदोश लोगों पर केन्द्रित है। इस कथानक पर यह हिन्दी का महत्त्वपूर्ण कार्य है। ये वो लोग हैं, जो आज भी स्थायी निवास और स्थायी रोज़गार के लिए जद्दोज़हद कर रहे हैं। इनमें कालबेलिया, करनट, मदारी आदि घुमन्तू समुदाय के लोग हैं।

    361.00425.00
  • Azadi Ki Hulchul – Vidya Sinha

    Azadi Ki Hulchul – Vidya Sinha

    350.00
  • Setu Samagra : Kavita, Vishnu Khare

    Setu Samagra : Kavita, Vishnu Khare
    विष्णु खरे हिंदी के विलक्षण कवि हैं कई अर्थों में। भाषा और कॉन्टेंट दोनों स्तरों पर उन्होंने हिंदी कविता को समृद्ध किया, कविता तब तक जैसी थी, उससे आगे बढ़ी। इस विस्तार के प्रति समझ रखने के कारण ही रघुवीर सहाय जैसे वरिष्ठ कवि विष्णु खरे को अपनी पीढ़ी का श्रेष्ठ कवि मानते थे। इनकी कविताओं को एक साथ पढ़ना न केवल एक कवि की काव्य-यात्रा से गुजरना है, अपितु उस यात्रा के बहाने समय, समाज, देशकाल की संवेदनात्मक समझ अर्जित करना है, जिसमें विष्णु खरे भी और एक पाठक के रूप में हम भी रह रहे हैं। इसका प्रमाण इनकी कविताओं में आया विवरण है। कविताओं में जो विवरणों की भरमार है, वह मात्र रचनात्मक टूल नहीं है। विवरणों के कारण ही स्थितियों के प्रति, वर्णित विषय के प्रति पाठकों में विश्वसनीयता जगती है।

    520.00
  • Vilopan by Shailendra Sagar (Paperback)

    Vilopan by Shailendra Sagar

    विलोपन की कहानियाँ ऐसी दुनिया की नब्ज पर उँगली रखती हैं जिसमें सब कुछ जल्दी से जल्दी पा लेना है। करियर की भागदौड़, निर्मम प्रतिस्पर्धा, अनाम-शनाप खर्च और उपभोक्तावाद ने ऐसी दुनिया बनायी है जहाँ किसी के व्यक्तिगत सुख-दुख, राग-विराग और रिश्ते-नातों से कोई सरोकार नहीं। ये कहानियाँ बहुत कुछ को दर्ज करती हैं जो ज़िन्दगी की आपाधापी में और बदलती दुनिया में लोप हो रहा है।

    254.00299.00
  • Mujhe Pahachaano By Sanjeev

    Mujhe Pahachaano By Sanjeev / संजीव : मुझे पहचानो 

    “साहित्य अकादमी पुरस्कार – 2023” से पुरस्कृत किताब

     

    “मुझे पहचानो” समाज के धार्मिक, सांसारिक और बौद्धिक पाखंड की परतें उधेड़ता है।
    सती होने की प्रथा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इस अमानवीय परंपरा के पीछे मूल कारक सांस्कृतिक गौरव है।

    सांस्कृतिक गौरव के साथ शुचिता का प्रश्न स्वतः उभरता है। इसमें समाहित है वर्ण की शुचिता, वर्ग की शुचिता, रक्त की शुचिता और लैंगिक शुचिता इत्यादि। इसी क्रम में पुरुषवादी यौन शुचिता की परिणति के रूप में सतीप्रथा समाज के सामने व्याप्त होती है।
    समाज के कुछ प्रबुद्ध लोगों के नजरिये से परे यह प्रथा सर्वमान्य रही है और वर्तमान समय में भी गौरवशाली संस्कृति के हिस्से के रूप में स्वीकार्य है। महत्त्वपूर्ण और निराशाजनक यह है कि स्त्रियाँ भी इसकी धार्मिक व सांस्कृतिक मान्यता को सहमति देती हैं। उपन्यास में एक महिला इस प्रथा को समर्थन देते हुए कहती है, जीवन में कभी-कभी तो ऐसे पुण्य का मौका देते हैं राम !
    उपन्यास मुझे पहचानो इसी तरह की अमानवीय धार्मिक मान्यताओं को खंडित करने और पाखंड में लिपटे झूठे गौरव से पर्दा हटाने का प्रयास करता है। इसी क्रम में धर्म और धन के घालमेल को भी उजागर करता है। इसके लिए सटीक भाषा, सहज प्रवाह और मार्मिक टिप्पणियों का प्रयोग उपन्यास में किया गया है जो इसकी प्रभावोत्पादकता का विस्तार करता है।

     

    212.00249.00
  • Khela by Neelakshi Singh Paperback

    Khela by Neelakshi Singh

    इस पुस्तक पर २०% की विशेष छूट चल रही है
    ऑफर ३० अप्रैल २०२४ तक वैध

    359.00449.00
  • BACHCHON KI SAMAJH

    जिनन साहब से मिलकर यह महसूस हुआ कि उन्हें बच्चों या मनुष्य मात्र के सीखने की प्रक्रिया की गहरी समझ है और इस समझ ने उनके व्यक्तित्व में एक अनूठा हलकापन उत्पन्न कर दिया है। इस मूलभूत समझ ने उन्हें गुरु गम्भीर बनाने की जगह एक ऐसा व्यक्ति बना दिया है जिससे मिलने पर आप ख़ुद कब समझदार हो गये हैं, पता नहीं चलता।

    304.00380.00
  • Bapu (jeewani in 7 Volumes) by Madhukar Upadhyay

    बापू` मोहनदास करमचंद गाँधी के `महात्मा गाँधी` बनने की कहानी है। गाँधी से जुड़ी छोटी-छोटी घटनाओं एवं संबद्ध परिस्थितियों का उल्लेख इस पुस्तक में किया गया है। यह पुस्तक ऐतिहासिक धारावाहिक से ज्यादा कथात्मक धारावाहिक है। यहाँ तिथियाँ अंकित नहीं हैं, गाँधी के जीवन की कथा है।

    2,660.00
  • Rajkamal Choudhary Ki Rachna-drishti

    RAJKAMAL CHOUDHARY KI RACHNA-DRISHTI by DEO SHANKAR NAVIN

    राजकमल चौधरी एक परम्परागत रूढिप्रिय परिवार में पैदा हुए थे। किशोरावस्था से ही वे रूढ़ संस्कारों के विरोधी रहे। राजकमल के साहित्यिक व्यक्तित्व का गठन परिवार और समाज की रूढ़ियों से संघर्ष करते हुए ही हुआ था। उनके इसी संस्कार ने प्रखर युगबोध से अनुप्राणित होकर उन्हें परम्परा-भंजक बनाया ।

    446.00525.00