Kavita Ke Aangan Mein By Ashok Vajpeyi (Paperback)

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Kavita Ke Aangan Mein By Ashok Vajpeyi – Paperback Edition
‘कविता के आँगन में’ – अशोक वाजपेयी

‘कविता के आँगन में’ एक सजग बौद्धिक और संवेदनशील सामाजिक का संवाद है। अशोक वाजपेयी की आलोचना की यह आठवीं पुस्तक है और इस अर्थ में विशिष्ट हो सकती है कि वह ‘इस समय और समाज में कविता की जगह खोजने-बनाने, उसे भरसक बढ़ाने की’ कोशिश का परिणाम है।

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‘कविता के आँगन में’ एक सजग बौद्धिक और संवेदनशील सामाजिक का संवाद है। अशोक वाजपेयी की आलोचना की यह आठवीं पुस्तक है और इस अर्थ में विशिष्ट हो सकती है कि वह ‘इस समय और समाज में कविता की जगह खोजने-बनाने, उसे भरसक बढ़ाने की’ कोशिश का परिणाम है।

About the Author:

अशोक वाजपेयी ने छः दशकों से अधिक कविता, आलोचना, संस्कृतिकर्म, कलाप्रेम और संस्था-निर्माण में बिताये हैं। उनके 17 कविता-संग्रह प्रकाशित हैं : उन्होंने विश्व कविता और भारतीय कविता के हिन्दी अनुवाद के और अज्ञेय, शमशेर, मुक्तिबोध, भारत भूषण अग्रवाल की प्रतिनिधि कविताओं के संचयन संपादित किये हैं और 5 मूर्धन्य पोलिश कवियों के हिन्दी अनुवाद पुस्तकाकार प्रकाशित किये हैं। उनकी कविताओं के पुस्तकाकार अनुवाद अंग्रेजी, फ्रेंच, पोलिश, मराठी, बांग्ला, गुजराती, उर्दू, राजस्थानी में प्रकाशित है। कविता के लिए उन्हें दयावती मोदी कवि शिखर सम्मान, साहित्य अकादेमी पुरस्कार, कबीर सम्मान, शक्ति चट्टोपाध्याय पुरस्कार, कटमनिट्ट रामकृष्णन् पुरस्कार आदि मिले हैं। अशोक वाजपेयी ने भारत भवन भोपाल, महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, रजा फाउण्डेशन आदि अनेक संस्थाओं की स्थापना और उनका संचालन किया है। वे मध्य प्रदेश शासन में शिक्षा और संस्कृति सचिव, छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति सलाहकार, केन्द्रीय ललित कला अकादेमी के अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने कविता के अलावा साहित्य, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत, आधुनिक चित्रकला आदि पर हिन्दी और अंग्रेजी में लिखा है। फ्रेंच और पोलिश सरकारों ने उन्हें अपने उच्च नागरिक सम्मानों से अलंकृत किया है। वे ‘समवेत’, ‘पहचान’, ‘पूर्वग्रह’, ‘बहुवचन’, ‘समास’, ‘अरूप’ आदि पत्रिकाओं के संस्थापक और संपादक रहे हैं। कई दशक अपने घरू प्रदेश मध्य प्रदेश में बिताने के बाद वे 1992 से दिल्ली में रहते हैं।

SKU: kavita-ke-aangan-mein-by-ashok-vajpeyi-Paperback
Category:
ISBN

9789392228728

Author

Ashok Vajpeyi

Binding

Paperback

Pages

216

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

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