एम. हिरियत्ना: पूर्णता की साधना
भारतीय दर्शन के मूर्धन्य विचारक के रूप में एम. हिरियन्ना एक जरूरी नाम हैं और ‘The quest after perfection’ उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में से एक। इस जरूरी पुस्तक को हिन्दी के पाठकों को उपलब्ध करवाने के ध्येय से वरिष्ठ कवि-चिन्तक नन्दकिशोर आचार्य ने इसे अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनूदित किया है। यह दर्शन पर हिन्दी में एक विरल सामग्री है। नन्दकिशोर आचार्य स्वयं दर्शन के वरिष्ठ जानकार हैं, एम. हिरियन्ना के मूल दार्शनिक विचारों को उनके द्वारा अनूदित किया जाना कई अर्थों मे विशिष्ट है। एम. हिरियन्ना भारतीय दर्शन की आधुनिक उपस्थिति का प्रमाण हैं, उन्हें पढ़ना ज्ञान और दर्शन के आधुनिक संदर्भों से खुद को जोड़ना है वहीं नन्दकिशोर आचार्य द्वारा इसका अनुवाद इसे प्रामाणिक और अनुसारणीय बनाता है।
About Author
नन्दकिशोर आचार्य
31 अगस्त, 1945 को बीकानेर में जन्मे नन्दकिशोर आचार्य को विविध विधाओं में अपनी सृजनात्मकता के लिए अनेक सम्मानों से विभूषित किया गया है, जिनमें 2019 का साहित्य अकादेमी पुरस्कार भी शामिल है। श्री आचार्य महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि. वर्धा तथा प्राकृत भारती अकादेमी में अतिथि लेखक रहे हैं और आईआईटी, हैदराबाद में प्रोफेसर आव एमिनेंस के रूप में भी कार्य किया है।
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