Asthan By Rajnarayan Bohre
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अस्थान ठडेसुरी बाबा का, सत्संग मण्डली का और प्रवचन कहने-सुनने वालों का। साधुओं के जीवन पर राजनारायण की खोज उनके लेखन की शुरुआत से ही रही है, क्योंकि उनका सूक्ष्म अध्ययन-अवलोकन किये बिना असली व नकली साधुओं पर, अस्थान बनाने की परम्परा और प्रकृति पर ऐसा असरदार नहीं लिख सकते थे।
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अस्थान ठडेसुरी बाबा का, सत्संग मण्डली का और प्रवचन कहने-सुनने वालों का। साधुओं के जीवन पर राजनारायण की खोज उनके लेखन की शुरुआत से ही रही है, क्योंकि उनका सूक्ष्म अध्ययन-अवलोकन किये बिना असली व नकली साधुओं पर, अस्थान बनाने की परम्परा और प्रकृति पर ऐसा असरदार नहीं लिख सकते थे। उपन्यास में धर्म, बाजार और कॉर्पोरेट के जैसे दृश्य राजनारायण यहाँ दिखाते हैं, हम सब ऐसे ही कुछ देखने के अभ्यस्त हैं। अभ्यस्त हम होते नहीं किये जाते हैं, यह बात उपन्यास बार-बार उठाता है। तभी तो आज तपस्वी ऋषि-मुनियों को अतीत में धकेलकर सुविधाभोगी आधुनिक बाबाओं का सम्मान समाज में जाग उठा है।
About Author
एम.ए.एल-एल.बी एवं पत्रकारिता में स्नातक ‘इज्जत आबरू’ एवं ‘गोस्टा तथा अन्य कहानियाँ’ दो कथा संग्रह मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन भोपाल का बागीश्वरी पुरस्कार एवं साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश का सुभद्राकुमारी चैहान पुरस्कार
ISBN | 9789391277987 |
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Binding | Hardcover |
Pages | 224 |
Publisher | Setu Prakashan Samuh |
Imprint | Setu Prakashan |
Language | Hindi |
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