₹899.00Original price was: ₹899.00.₹764.00Current price is: ₹764.00.
‘नोटिस-2’ राजू शर्मा जीवन से गहरी आसक्ति और गम्भीर राजनीतिक समझ से निॢमत हैं,जीवन की डिटेलिंग इस आसक्ति और समझ को ऊध्र्व और ऊर्जावान बनाती है
एक कथाकार के रूप में राजू शर्मा ने लम्बी यात्रा पूरी की है। अब तक उनके चार उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। चार कहानी संग्रह भी। ‘नोटिस-2’ और ‘व्यभिचारी’ उनके फुललेन्थ नॉवेल तो नहीं हैं, न लम्बी कहानी ही हैं। अपनी सुविधा के लिए हम इन्हें उपन्यासिका कह रहे हैं। पर इन दो पुस्तकों में समाहित पाँच रचनाएँ विधा की संरचनाओं के सन्दर्भ में हमें भ्रमित करती हैं। भ्रम का एक बड़ा कारण यह है कि नोटिस नाम से ही इनकी एक रचना प्रकाशित हुई थी, जो कहानी के रूप में प्रशंसित और चर्चित रही है। वस्तुतः ये रचनाएँ अपने औपन्यासिक विजन, एपेक्लिटी (महाकाव्यात्मक अन्तर्वस्तु) और आकार के अन्तर्संघात, साथ ही अतिक्रमण, से निर्मित हुई हैं। अपने इन गुणों के कारण ये रचनाएँ पाठकों को आमन्त्रित-आकर्षित करेंगी, तो चुनौती भी प्रस्तुत करेंगी। इन दो पुस्तकों में सम्मिलित पाँच उपन्यासिकाएँ हैं- नोटिस 2, हमसैनिक फार्म्स की बदौलत, चुनाव के समक्षणिक सितम; व्यभिचारी, लवर्स।
ये उपन्यासिकाएँ जीवन से गहरी आसक्ति और गम्भीर राजनीतिक समझ से निर्मित हैं। जीवन की डिटेलिंग इस आसक्ति और समझ को ऊर्ध्व और ऊर्जावान बनाती है।
आशा है पाठक इन रचनाओं का स्वागत करेंगे।
कभी उसे क्रोध होता है… जितना उसकी प्रौढ़ता जनित कर पाती है। या सहन कर सकती है। क्या वह कभी किसी आइडियोलॉजी की पनाह में खिंचेगा? आदर्श और यूटोपिया का कोई मजमून… मज़हब, भक्ति के चुंबक ?… इधर के झूठ, हिंसा, बेरहमी, हत्या और नफ़रत उसे नित्य दिखाई देंगे…। वह किस तरह उनके साथ, उनके बीच अपनी जगह बनाएगा, उन गिनती के उसूलों के सहारे जिनका साथ उसने बचपन से नहीं छोड़ा। हम कयास ही लगा सकते हैं। पर इसका पॉइंट भी क्या बनता है ? ये कथा आगे का नहीं जान सकती। पर बहुतेरे हैं जो समझते हैं वे जानते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं कि अकेले उनकी या एक की तक़दीर में क्या बदा है। उन्हें तो 125 करोड़ के देश के भविष्य और भूत का सारा कुछ पता है।
ये तो नोटिस 3 ही बता सकेगा कि समझावन के साथ आगे के सालों में क्या हुआ। अगर उसका वक्त कभी आया तो…! और आप, हम, समाज सुनने या पढ़ने की स्थिति में तब हुए तो !
जन्म : 1959 शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से भौतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर। लोक प्रशासन में पी-एच.डी.। 1982 से 2010 तक आईएएस सेवा में रहे। उसके बाद से स्वतंत्र लेखन, मुसाफ़रत और यदा-कदा की सलाहनवीसी। लेखन के अलावा रंगकर्म, फ़िल्म व फ़िल्म स्क्रिप्ट लेखन में विशेष रुचि। प्रकाशन : हलफनामे, विसर्जन, पीर नवाज़, क़त्ल ग़ैर इरादतन (उपन्यास); शब्दों का खाकरोब, समय के शरणार्थी, नहर में बहती लाशें (कहानीसंग्रह); भुवनपति, मध्यमवर्ग का आत्मनिवेदन या गुब्बारों की रूहानी उड़ान, जंगलवश (नाटक)। अनेक नाटकों का अनुवाद व रूपांतरण पिता(ऑगस्त स्ट्रिनबर्ग)।
Additional information
ISBN
9789392228087
Author
Raju Sharma
Binding
Hardcover
Pages
367
Publisher
Setu Prakashan Samuh
Imprint
Setu Prakashan
Language
Hindi
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Notice 2 By Raju Sharma” Cancel reply
Reviews
There are no reviews yet.