Muktibodh Ki Lalten – Apoorvanand

395.00

Muktibodh Ki Lalten – Apoorvanand
‘मुक्तिबोध की लालटेन’

मुक्तिबोध कुछ दशकों से हिंदी के सर्वाधिक चर्चित रचनाकार रहे हैं। उनपर काफी कुछ लिखा गया है। लेकिन मुक्तिबोध की लालटेन कई मायनों में उस काफी कुछ से अलग है, इसमें आलोचनात्मक और अकादमिक दर्रे पर होने की कतई परवाह नहीं की गई है।

In stock

Wishlist

मुक्तिबोध कुछ दशकों से हिंदी के सर्वाधिक चर्चित रचनाकार रहे हैं। उनपर काफी कुछ लिखा गया है। लेकिन मुक्तिबोध की लालटेन कई मायनों में उस काफी कुछ से अलग है, इसमें आलोचनात्मक और अकादमिक दर्रे पर होने की कतई परवाह नहीं की गई है। यह किताब मुक्तिबोध को कवि, आलोचक, चिन्तक के खानों में बाँटकर उनपर विचार नहीं करती, न कुल मिलाकर कोई समालोचनात्मक सार प्रस्तुत करती है।

About the Author:

आलोचना अपूर्वानंद का व्यसन है। आलोचना अपने व्यापक अर्थ और आशय में । आलोचना का लक्ष्य पूरा मानवीय जीवन है, साहित्य जिसकी एक गतिविधि है। इसलिए शिक्षा, संस्कृति और राजनीति की आलोचना के बिना साहित्य की आलोचना संभव नहीं। लेखक के साहित्यिक आलोचनात्मक निबंधों के दो संकलन, सुंदर का स्वप्न और साहित्य का एकांत, ‘यह प्रेमचंद हैं’ प्रकाशित हैं। कुछ समय तक आलोचना` पत्रिका का संपादन।

SKU: muktibodh-ki-lalten
Category:
ISBN

9789393758569

Author

Apoorvanand

Binding

Paperback

Pages

408

Publication date

24-05-2022

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

Customer Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Muktibodh Ki Lalten – Apoorvanand”