-14.91%

Vivad Nahin Hastkshep – Virendra Yadav

Original price was: ₹550.00.Current price is: ₹468.00.

विवाद नहीं हस्तक्षेप – वीरेंद्र यादव


विवाद नहीं हस्तक्षेप खासी विचारोत्तेजक पुस्तक है; और हो भी क्यों न, इसके कई सारे लेख बहस में दखल देते हुए, किसी धारणा को चुनौती देते हुए, किसी मत का प्रतिवाद करते हुए लिखे गए हैं। वीरेंद्र यादव इस किताब में साहित्य-समीक्षक के साथ ही बुद्धिजीवी या चिंतक की भूमिका में नजर आते हैं।


यह एक जाने-माने आलोचक की किताब है लेकिन सिर्फ आलोचना की नहीं, क्योंकि यह साहित्य के आन्तरिक प्रश्नों के साथ-साथ साहित्येतर समझे जाने वाले कुछ सवालों से भी काफी वास्ता रखती है। इसलिए स्वाभाविक ही वीरेन्द्र यादव इस किताब में साहित्य-समीक्षक के साथ ही बुद्धिजीवी या चिंतक की भूमिका में भी नजर आते हैं। विवाद नहीं हस्तक्षेप खासी विचारोत्तेजक पुस्तक है; और हो भी क्यों न, इसके कई सारे लेख बहस में दखल देते हुए, किसी धारणा को चुनौती देते हुए, किसी मत का प्रतिवाद करते हुए लिखे गये हैं।
खण्डन-मण्डन बहुत बार बहस या विमर्श की गम्भीरता और मर्यादा खोकर काँव-काँव में बदल जाता है। लेकिन यह किताब खण्डन-मण्डन से भरपूर होते हुए भी इस दोष से सर्वथा मुक्त है। तर्कों के पीछे तथ्यों का सबल आधार है। तथ्यपुष्ट तर्क की धार और पैना विश्लेषण वीरेन्द्र यादव के लेखन की एक बड़ी विशेषता है और यह किताब इस विशेषता का एक अकाट्य
साक्ष्य ।
एक आलोचक और बौद्धिक के रूप में वीरेन्द्र यादव किसी को भी नहीं बख्शते, चाहे वे विचारधारा के स्तर पर दूसरी तरफ के लोग हों या स्वयं अपनी तरफ के। वाम पक्षधर होते हुए भी लेखक को अगर कहीं रामविलास शर्मा या नामवर सिंह जैसे मूर्धन्य मार्क्सवादी आलोचकों की राय ठीक नहीं लगी, तो उनका भी जमकर प्रतिवाद किया है। पिछले दो-तीन दशकों में जो सवाल साहित्य में चर्चा का विषय रहे हैं उनमें से अधिकांश पर एक सजग, प्रगतिशील दृष्टिकोण सक्रिय मिलेगा, जैसा कि किताब का नाम संकेत करता है, विवाद नहीं हस्तक्षेप करते हुए। एक आलोचक या चिन्तक पिष्टपेषण से नहीं बल्कि अपनी तर्कपूर्ण असहमतियों और प्रत्याख्यान से जाना जाता है। यह किताब इस मान्यता को चरितार्थ करती है।


Kindle E-Book Also Available
Available on Amazon Kindle

In stock

SKU: vivad-nahin-hastkshep-Paperback Category:

Description

 

About the Author:

जन्म : 5 मार्च 1950, जौनपुर (उ.प्र.) उपन्यास आलोचना में विशिष्ट स्थान; उपन्यास केन्द्रित आलोचना पुस्तक उपन्यास और वर्चस्व की सत्ता विशेष रूप से चर्चित । उपन्यास आलोचना की हाल में आयी एक और किताब उपन्यास और देस भी चर्चा में । प्रगतिशील साहित्य और आन्दोलन पर केन्द्रित पुस्तक प्रगतिशीलता के पक्ष में प्रकाशित। प्रेमचन्द और 1857 पर हस्तक्षेपकारी लेखन। समसामयिक साहित्यिक सांस्कृतिक परिदृश्य पर विपुल लेखन । कई आलोचनात्मक लेखों का अंग्रेजी और उर्दू में अनुवाद प्रकाशित। नवें दशक में प्रयोजन पत्रिका का सम्पादन। मार्कण्डेय की सम्पूर्ण कहानियाँ और यशपाल का विप्लव का भूमिका लेखन। जॉन हर्सी की पुस्तक हिरोशिमा का अँग्रेजी से हिन्दी अनुवाद। अँग्रेजी में पुस्तिका दि रिवोल्युशन मिथ एण्ड रियलिटी प्रकाशित । देवीशंकर अवस्थी आलोचना सम्मान, उ.प्र. हिन्दी संस्थान का साहित्य भूषण सम्मान, गुलाब राय सम्मान, शमशेर सम्मान व मुद्राराक्षस सम्मान।

Additional information

ISBN

9789395160346

Author

Virendra Yadav

Binding

Paperback

Pages

352

Publication date

23-09-2022

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Vivad Nahin Hastkshep – Virendra Yadav”

You may also like…

0
YOUR CART
  • No products in the cart.