-20.02%

Seedhiyon Se Utarte Hue – Ashok Vajpeyi

Original price was: ₹899.00.Current price is: ₹719.00.

Seedhiyon Se Utarte Hue – Ashok Vajpeyi
सीढ़ियों से उतरते हुए – अशोक वाजपेयी

 

हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार अशोक वाजपेयी का मुख्य साहित्यिक परिसर कविता के अलावा आलोचना से निर्मित होता है। यह यात्रा अनवरत जारी है। इसका सुफल है- ‘सीढ़ियों से उतरते हुए’। अशोक वाजपेयी ने अपनी संक्षिप्त भूमिका में लिखा है- “उत्साह और आस्था के साथ कई सीढ़ियाँ चढ़ी हैं और अब ऐसा समय आया है कि शायद आगे नहीं जा सकता। सँभलकर सीढ़ियाँ उतरना शुरू कर रहा हूँ और यह पुस्तक, एक तरह से, उसका साक्ष्य है।” वे कहते हैं कि सीढ़ियाँ उतरते हुए सँभलकर वे चल रहे हैं, पर इस पुस्तक का वैविध्य और विस्तृत रेंज पाठकों को हतप्रभ करता है। अच्छे खासे साहित्यिक धावकों की साँसें उखड़ सकती हैं।

 
इसमें साहित्य, आलोचना, संस्कृति, भाषा और कला उपखण्डों से, जो विवेचन प्रस्तुत किया है, वे विधा की, विषयानुशासन की सीमाओं में हैं। इसके बावजूद यह इस अर्थ में उसका अतिक्रमण है कि इनके माध्यम से वे समय और समाज के प्रश्नों को भी उठाते हैं। अपने तईं उनका उत्तर तलाशने की कोशिश करते हैं। I
 
इन निबन्धों में वे साहित्य और कला की अपेक्षाकृत स्वायत्त दुनिया की वकालत करते भी दिखाई देते हैं। इसीलिए वे कह सकते हैं- “सृजन के समय के सम्बन्ध का विचार हमारी परम्परा में पहले भी होता रहा है। लेकिन उसे लगभग केन्द्रीयता मिले शायद एक सदी भी नहीं गुज़री है।” सृजन का समय ही दूसरा समय है। बात कला के सन्दर्भ में की है, पर समय को एक अवधारणा के रूप में उन्होंने विकसित किया है- “जैसे भाषा वैसे समय भी मनुष्य का अद्वितीय आविष्कार है। प्राकृतिक समय मनुष्य को दिया हुआ है पर उसे वह ऐतिहासिक- सामाजिक समय में बदलता है। इस अर्थ में समय मनुष्य की रचना है।” इस तरह जब किसी विचार, तथ्य, सन्दर्भ को अवधारणा के रूप में विकसित किया जाता है, तो वह उस प्रसंग का अतिक्रमण कर जाता है। उसका विस्तार और प्रसार व्यापक हो जाता है। इस तरह अवधारणाओं में किसी तथ्य, विचार, सन्दर्भ को विन्यस्त कर पाना आलोचक की क्षमता का अन्यतम प्रसंग है। इस रूप में यह पुस्तक अशोक वाजपेयी के आलोचक के प्रति हमें गहरे रूप से आश्वस्त करती है।
 

In stock

SKU: seedhiyon-se-utarte-hue-ashok-vajpeyi-HB Category:

Description

About the Author:

अशोक वाजपेयी ने छः दशकों से अधिक कविता, आलोचना, संस्कृतिकर्म, कलाप्रेम और संस्था-निर्माण में बिताये हैं। उनके 17 कविता-संग्रह प्रकाशित हैं : उन्होंने विश्व कविता और भारतीय कविता के हिन्दी अनुवाद के और अज्ञेय, शमशेर, मुक्तिबोध, भारत भूषण अग्रवाल की प्रतिनिधि कविताओं के संचयन संपादित किये हैं और 5 मूर्धन्य पोलिश कवियों के हिन्दी अनुवाद पुस्तकाकार प्रकाशित किये हैं। उनकी कविताओं के पुस्तकाकार अनुवाद अंग्रेजी, फ्रेंच, पोलिश, मराठी, बांग्ला, गुजराती, उर्दू, राजस्थानी में प्रकाशित है। कविता के लिए उन्हें दयावती मोदी कवि शिखर सम्मान, साहित्य अकादेमी पुरस्कार, कबीर सम्मान, शक्ति चट्टोपाध्याय पुरस्कार, कटमनिट्ट रामकृष्णन् पुरस्कार आदि मिले हैं। अशोक वाजपेयी ने भारत भवन भोपाल, महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, रजा फाउण्डेशन आदि अनेक संस्थाओं की स्थापना और उनका संचालन किया है। वे मध्य प्रदेश शासन में शिक्षा और संस्कृति सचिव, छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति सलाहकार, केन्द्रीय ललित कला अकादेमी के अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने कविता के अलावा साहित्य, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत, आधुनिक चित्रकला आदि पर हिन्दी और अंग्रेजी में लिखा है। फ्रेंच और पोलिश सरकारों ने उन्हें अपने उच्च नागरिक सम्मानों से अलंकृत किया है। वे ‘समवेत’, ‘पहचान’, ‘पूर्वग्रह’, ‘बहुवचन’, ‘समास’, ‘अरूप’ आदि पत्रिकाओं के संस्थापक और संपादक रहे हैं। कई दशक अपने घरू प्रदेश मध्य प्रदेश में बिताने के बाद वे 1992 से दिल्ली में रहते हैं।

Additional information

ISBN

978-93-93758-0-26

Author

Ashok Vajpeyi

Binding

Hardcover

Pages

376

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Seedhiyon Se Utarte Hue – Ashok Vajpeyi”

You may also like…

0
YOUR CART
  • No products in the cart.