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Pavitra Paap By Sushobhit (PaperBack)

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“पवित्र पाप” — सुशोभित 


“पवित्र पाप” सुशोभित द्वारा लिखित यह किताब स्त्री-पुरुष संबंध के समीकरणों पर एक विचार या यू कह लीजिए कि संवाद है। जिसे सिर्फ पढ़ना नहीं, उसपे अमल भी करना होगा। किताब पढ़ने भर से पता चलता है कि सुशोभित से ज़्यादा तो महिला वर्ग भी अपने को इतना नहीं जानता होगा। जितना उनकी किताब को पढ़ कर एक महिला वर्ग अपने को जानेगी।

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Description

Pavitra Paap By Sushobhit – (PaperBack)

About the Author:

सुशोभित 13 अप्रैल 1982 को मध्यप्रदेश के झाबुआ में जन्म। शिक्षा-दीक्षा उज्जैन से। अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर। एक साल पत्रकारिता की भी अन्यमनस्क पढ़ाई की। सिनेमा, साहित्य, इतिहास, संगीत, खेल, कलाओं और लोकप्रिय संस्कृति में गहरी अभिरुचि। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, ब्लॉग, वेबसाइटों पर कविताएं, निबन्ध, समालोचनाएं प्रकाशित। भोपाल में निवास। कविता की चार पुस्तकें ‘मैं बनूंगा गुलमोहर’, ‘मलयगिरि का प्रेत’, ‘दु:ख की दैनन्दिनी’ और ‘धूप का पंख’ प्रकाशित। गद्य की पाँच पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें लोकप्रिय फ़िल्म-गीतों पर पुस्तक ‘माया का मालकौंस’, क़िस्सों की एक किताब ‘माउथ ऑर्गन’, रम्य-रचनाओं का संकलन ‘सुनो बकुल’, महात्मा गाँधी पर केंद्रित ‘गाँधी की सुंदरता’ और जनपदीय-जीवन की कहानियों का संकलन ‘बायस्कोप’ सम्मिलित हैं। सत्यजित राय के सिनेमा पर पुस्तकाकार निबन्ध शीघ्र प्रकाश्य। अंग्रेज़ी के लोकप्रिय उपन्यासकार चेतन भगत के छह उपन्यासों और स्पैनिश कवि फ़ेदरीको गार्सीया लोर्का के पत्रों की एक पुस्तक का अनुवाद भी किया है। ‘सुनो बकुल’ के लिए वर्ष 2020 का स्पन्दन युवा पुरस्कार। सम्प्रति दैनिक भास्कर समूह की पत्रिका ‘अहा! ज़िंदगी’ के सहायक सम्पादक।


Additional information

ISBN

9789392228254

Author

Sushobhit

Binding

Paperback

Pages

107

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

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