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  • Renu Ki Talash – Bharat Yayawar – Paperback

    रेणु की तलाश – भारत यायावर

    ‘रेणु की तलाश’ न तो रेणु का जीवन-वृत्तान्त है न संस्मरण न समीक्षा; अलबत्ता इस किताब में इन तीनों विधाओं के तत्त्व मौजूद हैं। इस पुस्तक के लेखक भारत यायावर, रेणु की खोज को, अपने जीवन की ‘परम साधना और सार्थकता’ मानते हैं पर यह शोध-कार्य किस्म की शुष्क खोज नहीं है। यह एक कथा-लेखक को उसके अंचल में, उसके परिवेश में, उसके पात्रों और उसके अनुभव जगत्‌ के बीच खोजना है। यह रेणु के कथा-स्रोत, उनकी अन्‍तःप्रेरणाओं और उनकी रचना प्रक्रिया की तलाश है। यह रेणु को रेणु बनते हुए और उनकी रचनाओं को रचे जाते हुए देखना है। इस क्रम में जहाँ रेणु के बरे में लोगों से सुने हुए संस्मरण पाठक को बाँधे रखते हैं वहीं ‘चम्बल घाटी में डाकुओं के बीच मैला आँचल’ जैसा अज्ञात या अल्पज्ञात प्रसंग रोमांचित करता है।


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    254.00299.00
  • Tum Chup Kyon Rahey Kedaar (Revised & Updated Edition) Hridayesh Joshi

    दस साल पहले एक पहाड़ टूटा था। प्रलय की तरह दौड़ते सैलाब ने सैकड़ों मीलों तक बस्तियाँ मिटा दी थीं। यह केदारनाथ आपदा थी। जब इस त्रासदी के बाद मैं वहाँ पहुँचा तो हर तरफ़ मौत का सन्नाटा था। पहाड़ी शिलाओं के पीछे शव मिल रहे थे, और शवों से जुड़ी ऐसी कहानियाँ थीं जो बस रुलाती और डराती थीं। उस अनुभव पर तब मैंने यह किताब लिखी थी- तुम चुप क्यों रहे केदार।

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    276.00325.00
  • Aitken Ka Himalaya – Bill Aitken, Translated by Hridayesh Joshi

    Aitken Ka Himalaya – Bill Aitken, Translated by Hridayesh Joshi
    एटकिन का हिमालय

    बिल एटकिन की यह किताब हिमालय को जानने-समझने और उससे सरोकार रखने वालों के लिए खूबसूरत अनिश्चितता से भरे एक ऐसे प्रस्थान-बिन्दु जेसी है जहाँ से उन्हे किसी भी दिशा में प्रक्षेपित किया जा सकता है।

    382.00449.00
  • WAH HANSI BAHUT KUCH KEHTI THI – Rajesh Joshi (Hardcover)

    Wah Hansi Bahut Kuch Kehti Thi – Rajesh Joshi

    मुझे लगता है कि जिस सृजनात्मक साहित्य, कला और संगीत को बाजार कमोडिटी में तब्दील नहीं कर पाता वह उससे डरता हैं। वह उसके खिलाफ तरह-तरह के प्रपंच रखता है। बाजार का यह डर दिनोदिन बढ़ रहा है।

    333.00370.00
  • WAH HANSI BAHUT KUCH KEHTI THI – Rajesh Joshi

    Wah Hansi Bahut Kuch Kehti Thi – Rajesh Joshi

    मुझे लगता है कि जिस सृजनात्मक साहित्य, कला और संगीत को बाजार कमोडिटी में तब्दील नहीं कर पाता वह उससे डरता हैं। वह उसके खिलाफ तरह-तरह के प्रपंच रखता है। बाजार का यह डर दिनोदिन बढ़ रहा है।

    136.00160.00
  • Upasthiti Ka Arth By Gyanranjan (Hardcover)

    Upasthiti Ka Arth By Gyanranjan (Hardcover)
    उपस्थिति का अर्थ – ज्ञानरंजन

    यह तय करना अक्सर कठिन रहा है कि ज्ञानरंजन की रचनाओं में कथ्य ज्यादा विलक्षण है या उसकी भाषा। दोनों इस क़दर आपस में गँथे हैं कि उन्हें अलगाना प्याज के छिलके उतारने की तरह होगा।

    352.00440.00
  • 78 Degree By Arun Kumar Asafal (Paperback)

    78 Degree By Arun Kumar Asafal
    78 डिग्री- अरुण कुमार असफल

    225.00250.00
  • Upasthiti Ka Arth By Gyanranjan

    Upasthiti Ka Arth By Gyanranjan
    उपस्थिति का अर्थ – ज्ञानरंजन

    यह तय करना अक्सर कठिन रहा है कि ज्ञानरंजन की रचनाओं में कथ्य ज्यादा विलक्षण है या उसकी भाषा। दोनों इस क़दर आपस में गँथे हैं कि उन्हें अलगाना प्याज के छिलके उतारने की तरह होगा।

    180.00200.00
  • 78 Degree By Arun Kumar Asafal

    78 Degree By Arun Kumar Asafal
    78 डिग्री- अरुण कुमार असफल

    539.00599.00
  • Jaise Amrood Ki Khushboo By Gyanranjan (Paperback)

    Jaise Amrood Ki Khushboo By Gyanranjan
    जैसे अमरूद की खुशबू – ज्ञानरंजन

    270.00300.00
  • Pavitra Paap By Sushobhit (PaperBack)

    Pavitra Paap By Sushobhit – (PaperBack)

    “पवित्र पाप” सुशोभित द्वारा लिखित यह किताब स्त्री-पुरुष संबंध के समीकरणों पर एक विचार या यू कह लीजिए कि संवाद है। जिसे सिर्फ पढ़ना नहीं, उसपे अमल भी करना होगा।

    153.00180.00
  • Renu Ki Talash – Bharat Yayawar

    रेणु की तलाश – भारत यायावर

    ‘रेणु की तलाश’ न तो रेणु का जीवन-वृत्तान्त है न संस्मरण न समीक्षा; अलबत्ता इस किताब में इन तीनों विधाओं के तत्त्व मौजूद हैं। इस पुस्तक के लेखक भारत यायावर, रेणु की खोज को, अपने जीवन की ‘परम साधना और सार्थकता’ मानते हैं पर यह शोध-कार्य किस्म की शुष्क खोज नहीं है। यह एक कथा-लेखक को उसके अंचल में, उसके परिवेश में, उसके पात्रों और उसके अनुभव जगत्‌ के बीच खोजना है। यह रेणु के कथा-स्रोत, उनकी अन्‍तःप्रेरणाओं और उनकी रचना प्रक्रिया की तलाश है। यह रेणु को रेणु बनते हुए और उनकी रचनाओं को रचे जाते हुए देखना है। इस क्रम में जहाँ रेणु के बरे में लोगों से सुने हुए संस्मरण पाठक को बाँधे रखते हैं वहीं ‘चम्बल घाटी में डाकुओं के बीच मैला आँचल’ जैसा अज्ञात या अल्पज्ञात प्रसंग रोमांचित करता है।


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    524.00699.00