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Samay se bahar By Ashok Vajpeyi

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समय से बाहर – अशोक वाजपेयी


यह सोचना अच्छा लगता है, कि हमारे बीच एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके बिना उत्तरी भारत और हिन्दी प्रदेश के सांस्कृतिक परिदृश्य की कल्पना करना असंभव है। कुछ नामों के साथ साहित्य और संस्कृति जैसे शब्द अपनी आत्यन्तिक पवित्रता और उज्ज्वलता ग्रहण कर लेते हैं- मेरे लिए अशोक वाजपेयी ऐसा ही एक नाम है। एक पुराने विश्वसनीय मित्र, एक निष्ठावान संस्कृतिकर्मी, एक उत्कृष्ट कवि-ऐसे कम लोग होते हैं, जो इन सब गुणों को इतनी सहज विनयशीलता से अपने व्यक्तित्व में छिपाये रखते हैं।
– निर्मल वर्मा


सामाजिक-ऐतिहासिक समय के बरक्स कलाएँ क्या ‘दूसरा समय’ रचती हैं? रसिकता का जो आभिजात्य शास्त्रीय कलाओं को मिला है अन्य कलाओं को क्यों सुलभ नहीं ? हर कला का अर्थ किस तरह अलग है ? क्या आज की ललित कला इसलिए समझ में नहीं आती कि वह पढ़ने के बजाय देखने पर इसरार करती है ? हर अर्थ की नियति वागर्थ होना नहीं है? रंगमंच कैसे अपना नहीं हमेशा ही दूसरों का माध्यम है? कलाओं के अपने-दूसरे क्या हैं? कलाओं के परिवर्तन मूलतः या अन्ततः सामाजिक परिवर्तन के संस्करण या अनुषंग नहीं होते हैं? कलाओं और साहित्य की आपसी बेख़बरी के क्या नतीजे निकले हैं? आधुनिकता ने कलाओं की भारतीय परिस्थिति में कैसा वर्ण-विभाजन किया है ? देह, आवाज़ का अमूर्तन नृत्य या ध्रुपद में कैसे होता है ? समकालीनता और सनातनता के द्वन्द्व का कलाओं में क्या आशय है? ऐसे अनेक प्रश्न, दार्शनिक जिज्ञासा और सामाजिक चिन्ता कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी के उन निबन्धों में प्रगट हैं जो यहाँ संगृहीत हैं। पहली बार समकालीन कलाओं का समग्र परिदृश्य किसी सर्वेक्षण के माध्यम से नहीं कुछ बुनियादी सरोकारों और गहरी विचारशीलता से प्रगट होता है। निबन्धों के अलावा कुमार गन्धर्व पर बहुचर्चित कविता-समुच्चय ‘बहुरि-अकेला’, मल्लिकार्जुन मंसूर, मक़बूल फिदा हुसेन, जगदीश स्वामीनाथन, शमशेर बहादुर सिंह, अली अकबर ख़ाँ पर कविताएँ भी यहाँ संकलित हैं, अग्रणी चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के रेखांकन भी।
हिन्दी की यह अपनी तरह की पहली और अभूतपूर्व पुस्तक है। हिन्दी में, और सम्भवतः भारतीय भाषाओं में, पहली बार एक साहित्यकार ने अपने समय की कलाओं से आलोचना और रचना दोनों स्तरों पर उलझने और उन्हें अपनी विशिष्टता में समझने की कोशिश की है।
इसका नया संस्करण हमारे लिए प्रसन्नता की बात है।

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Description

About the Author:

अशोक वाजपेयी ने छः दशकों से अधिक कविता, आलोचना, संस्कृतिकर्म, कलाप्रेम और संस्था-निर्माण में बिताये हैं। उनके 17 कविता-संग्रह प्रकाशित हैं : उन्होंने विश्व कविता और भारतीय कविता के हिन्दी अनुवाद के और अज्ञेय, शमशेर, मुक्तिबोध, भारत भूषण अग्रवाल की प्रतिनिधि कविताओं के संचयन संपादित किये हैं और 5 मूर्धन्य पोलिश कवियों के हिन्दी अनुवाद पुस्तकाकार प्रकाशित किये हैं। उनकी कविताओं के पुस्तकाकार अनुवाद अंग्रेजी, फ्रेंच, पोलिश, मराठी, बांग्ला, गुजराती, उर्दू, राजस्थानी में प्रकाशित है। कविता के लिए उन्हें दयावती मोदी कवि शिखर सम्मान, साहित्य अकादेमी पुरस्कार, कबीर सम्मान, शक्ति चट्टोपाध्याय पुरस्कार, कटमनिट्ट रामकृष्णन् पुरस्कार आदि मिले हैं। अशोक वाजपेयी ने भारत भवन भोपाल, महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, रजा फाउण्डेशन आदि अनेक संस्थाओं की स्थापना और उनका संचालन किया है। वे मध्य प्रदेश शासन में शिक्षा और संस्कृति सचिव, छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति सलाहकार, केन्द्रीय ललित कला अकादेमी के अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने कविता के अलावा साहित्य, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत, आधुनिक चित्रकला आदि पर हिन्दी और अंग्रेजी में लिखा है। फ्रेंच और पोलिश सरकारों ने उन्हें अपने उच्च नागरिक सम्मानों से अलंकृत किया है। वे ‘समवेत’, ‘पहचान’, ‘पूर्वग्रह’, ‘बहुवचन’, ‘समास’, ‘अरूप’ आदि पत्रिकाओं के संस्थापक और संपादक रहे हैं। कई दशक अपने घरू प्रदेश मध्य प्रदेश में बिताने के बाद वे 1992 से दिल्ली में रहते हैं।

Additional information

ISBN

8185127409

Author

Ashok Vajpeyi

Pages

186

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Imprint

Vagdevi

Language

Hindi

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