SANLAP By Aniruddh Umat

233.00275.00

अनिरुद्ध उमट की कविताएँ पढ़ते हुए मीर तक़ी मीर की इन पंक्तियों का स्मरण हो आता है-ले साँस भी आहिस्ता कि नाजुक है बहुत काम/आफ़ाक़ की इस कारगह-ए-शीशागरी का। सचमुच इस पत्थर की तरह अपारदर्शी, संवेदनहीन संसार में इतनी नजाकत भरी कविताएँ लिखना, खाण्डे की धार पर चलने जैसा ही है। कवि ने जिस कला पर चलने का नेम लिया है

In stock

Wishlist

अनिरुद्ध उमट की कविताएँ पढ़ते हुए मीर तक़ी मीर की इन पंक्तियों का स्मरण हो आता है-ले साँस भी आहिस्ता कि नाजुक है बहुत काम/आफ़ाक़ की इस कारगह-ए-शीशागरी का। सचमुच इस पत्थर की तरह अपारदर्शी, संवेदनहीन संसार में इतनी नजाकत भरी कविताएँ लिखना, खाण्डे की धार पर चलने जैसा ही है। कवि ने जिस कला पर चलने का नेम लिया है, उस पर वे एक पल भी डिगना नहीं चाहते। कह गया जो आता हूँ अभी (2005) और तस्वीरों से जा चुके चेहरे (2015) के बाद संलाप अनिरुद्ध जी का तीसरा काव्य-संग्रह है। 1 इसके अलावा उन्होंने कहानियाँ, उपन्यास, निबन्ध और राजस्थानी से हिन्दी अनुवाद भी किये हैं। अपने और कृष्ण बलदेव वैद के आत्मीय सम्बन्धों पर उनकी एक पुस्तक भी आयी है-वैदानुराग। पर इन सभी की आत्मा तो कविता ही है। हमारे समय में अगर यह कल्पना कर सकें कि मनुष्य नामक प्राणी की रचना काव्य-पदार्थ से होना सम्भव है तो अनिरुद्ध उमट जैसे कवि रचे जा सकते हैं; जैसे पिछले दौर में शमशेर थे।

About the Author:

अनिरुद्ध उमट 28 अगस्त, 1964 को बीकानेर (राजस्थान) में जन्म । उपन्यास : अँधेरी खिड़कियाँ 1998, पीठ पीछे का आँगन 2000, नींद नहीं जाग नहीं 2020; कविता संग्रह : कह गया जो आता हूँ अभी 2005, तस्वीरों से जा चुके चेहरे 2015; कहानी-संग्रह : आहटों के सपने 2008; निबन्ध संग्रह : अन्य का अभिज्ञान 2012; संस्मरण : वैदानुराग 2020; बाल साहित्य : स्याणा 2022; अनुवाद : राजस्थानी भाषा के कवि वासु आचार्य के साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत कविता संग्रह सीर रो घर का हिन्दी अनुवाद केन्द्रीय साहित्य अकादेमी, दिल्ली द्वारा प्रकाशित। सम्मान : राजस्थान साहित्य अकादेमी, उदयपुर द्वारा उपन्यास अँधेरी खिड़कियाँ को रांगेय राघव स्मृति सम्मान; भारत सरकार के संस्कृति विभाग की जूनियर फेलोशिप; कृष्ण बलदेव वैद फेलोशिप ।

SKU: sanlap
Category:
ISBN

9789395160995

Author

Aniruddh Umat

Binding

Paperback

Pages

128

Publication date

25-02-2023

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

Customer Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “SANLAP By Aniruddh Umat”

You may also like…

  • Ladki Aur Chinar Ki Prem Katha By Asiya Zahoor

    इस संग्रह की कविताओं में वह सघन संवेदना और बौद्धिक बेचैनी है, जिसके माध्यम से आसिया जहूर कई स्तरों पर दुख और दमन को देखती और महसूस करती हैं। समय का दुख, समाज का दुख, और सबसे ऊपर स्त्री का दुख। लेकिन, उनकी कविता दुखों और संघर्षों की सहज अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, वह मिथक, इतिहास, संस्कृति और लोकजीवन में गहरे प्रवेश करते हुए अपने दुख को महाकरुणा में रूपान्तरित कर देती है। वह करुणा ही है जो बुद्ध और यीशु के कई बार साधारण से लगने वाले शब्दों में भी असाधारण प्रभाव पैदा कर देती है। एक अच्छी कविता में जीवन की अभिप्रेरक अभिव्यक्ति तो होती है, लेकिन करुणा का ऐसा विस्तार दुर्लभ है। निस्सन्देह आसिया जहूर हमारे समय की एक अनोखी कवयित्री हैं। नये मिलेनियम की मेड्यूसा हैं, जो अपनी विवशता को शक्ति में बदल देती है, नये युग

    की जुलेखा, जो फ़रिश्ते जिब्राईल के सामने सौदे से इनकार कर देती है। ‘युवा लड़की और वृद्ध चिनार की प्रेम कथा’ एक अद्भुत प्रेम कविता है। चिनार कश्मीर की प्रकृति और संस्कृति का मूर्त रूप है, जो एक युवा लड़की यानी, आज के समय की जूनी अर्थात् हब्बा ख़ातून से प्रेम कर रहा है। प्रेम का यह विस्तार उसी करुणा तक पहुँचता है, जो आसिया की कविता के केन्द्र में है।
    वह समय के संकट को व्यक्त करने के लिए हर बार मिथकों या पुराकथाओं का सहारा ही नहीं लेती बल्कि, कई बार क्रूर सच से सीधे टकराती है। लेकिन, यह याद रखते हुए कि कविता अन्ततः एक कला है। मेरी दादी बुनती थी…, गहन सैन्यीकृत क्षेत्र में… और मेरी बेटी के लिए… जैसी कविताओं में अतीत, वर्तमान और भविष्य (सम्भावित) के दमन और क्रूरता की अभिव्यंजना के बीच प्रतिरोध की वह ऊँचाई है, जिसके सामने बड़ा से बड़ा अत्याचारी शासक भी बौना दीखने लगता है। यह है कविता की ताक़त !
    – मदन कश्यप
    Buy This Book Instantly thru RazorPay (15% + 5% extra discount)
    128.00150.00
  • Ishwar Ka Dukh by Shambhu Naath

    ये मुश्किल समय की कविताएँ हैं। इनमें कुछ खोते जाने की पीड़ा और नागरिक भय के साथ असहमति की आवाजें हैं। ये ताकत द्वारा निर्मित मायावी दृश्यों से परे दबाये गये सत्य की अभिव्यक्तियाँ हैं। 2020-23 के बीच लिखी गयीं इन कविताओं में ‘प्रचलित’ और ‘प्रचारित’ के बाहर देखने का साहस लक्षित किया जा सकता है।

    आज जब हर तरफ शोर और वाग्जाल है, सबसे अधिक जरूरत शब्दों को बचाने की है। यह अनुभव की स्वतन्त्रता के साथ-साथ कुछ जरूरी मूल्यों को बचाना है और कृत्रिम सरहदों को लाँघना है। इस संकलन की कविताएँ वर्तमान दौर के दुख, घबराहट और निश्छल स्वप्नों में साझेदारी से जन्मी हैं। ‘हम-वे’ के उत्तेजक विभाजन के समानान्तर ये अ-पर के बोध से जुड़ी हैं। ये कविताएँ वस्तुतः सुन्दरता, स्वतन्त्रता और भाषा की नयी सम्भावनाओं की तलाश हैं।

    135.00150.00
  • Bhasha Mein Nhi By Sapna Bhatt

    सपना भट्ट की कविताओं से गुजरते हुए वाल्टर पीटर होराशियो का यह कथन कि ‘All art constantly aspires towards the condition of music’ बराबर याद आता है। समकालीन कविता में ऐसी संगीतात्मकता बिरले ही दिखाई पड़ती है। यह कविताएँ एक मद्धम सिम्फनी की तरह शुरू होती हैं, अन्तर्निहित संगीत और भाषा का सुन्दर वितान रचती हैं और संगीत की ही तरह कवि मन के अनन्त मौन में तिरोहित हो जाती हैं। पूरे काव्य में ध्वनि, चित्र, संकोच, करुणा, विनय और ठोस सच्चाइयाँ ऐसे विन्यस्त कि कुछ भी अतिरिक्त नहीं। यह कविताएँ ठण्डे पर्वतों और उपत्यकाओं के असीमित एकान्त के बीच से जैसे तैरती हुई हमारी ओर आती हैं। इन सुन्दर कविताओं में कामनाहीन प्रेम की पुकारें, रुदन, वृक्षों से झरती पत्तियाँ और इन सब कुछ पर निरन्तर गिरती बर्फ जैसे अनगिनत विम्ब ऐसे घुले मिले हैं कि चित्र और राग संगीत, एकसाथ कविताओं से पाठक के मन में कब चले आते हैं पता ही नहीं चलता। यह कविताएँ किस पल आपको अपने भीतर लेकर बदल देती हैं यह जानना लगभग असम्भव है।

    Buy This Book with 1 Click Via RazorPay (15% + 5% discount Included)

    234.00275.00