Indian Translated Books

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  • Baraf Mahal Translated by Neelakshi Singh – hardcover

    वह एक सम्मोहक महल था। उसमें प्रवेश करने का रास्ता जल्द खोज लेना था। वह भूलभुलैया, उत्कण्ठा जगाने वाले रास्तों और विशाल दरवाजों से भरा होने वाला था और उसे उसमें दाखिले का रास्ता खोजकर ही दम लेना था। यह कितनी अजीब बात थी कि उसके सामने आते ही उन्न बाकी का सबकुछ बिल्कुल ही बिसरा चुकी थी। उस महल के भीतर समा जाने की इच्छा के सिवा हर दूसरी चीज का अस्तित्व उसके लिए समाप्त हो चुका था। आह। पर क्या वह सब इतना आसान था ! कितनी तो जगहें थीं, जो दूर से अब खुलीं कि तब खुलीं दिखती थीं, पर जैसे ही उन्न वहाँ पहुँचती, वे धोखा देने पर उतर आतीं। पर वह भी कहाँ हार मानने वाली थी !

    438.00625.00
  • Ladki Aur Chinar Ki Prem Katha By Asiya Zahoor

    इस संग्रह की कविताओं में वह सघन संवेदना और बौद्धिक बेचैनी है, जिसके माध्यम से आसिया जहूर कई स्तरों पर दुख और दमन को देखती और महसूस करती हैं। समय का दुख, समाज का दुख, और सबसे ऊपर स्त्री का दुख। लेकिन, उनकी कविता दुखों और संघर्षों की सहज अभिव्यक्ति मात्र नहीं है, वह मिथक, इतिहास, संस्कृति और लोकजीवन में गहरे प्रवेश करते हुए अपने दुख को महाकरुणा में रूपान्तरित कर देती है। वह करुणा ही है जो बुद्ध और यीशु के कई बार साधारण से लगने वाले शब्दों में भी असाधारण प्रभाव पैदा कर देती है। एक अच्छी कविता में जीवन की अभिप्रेरक अभिव्यक्ति तो होती है, लेकिन करुणा का ऐसा विस्तार दुर्लभ है। निस्सन्देह आसिया जहूर हमारे समय की एक अनोखी कवयित्री हैं। नये मिलेनियम की मेड्यूसा हैं, जो अपनी विवशता को शक्ति में बदल देती है, नये युग

    की जुलेखा, जो फ़रिश्ते जिब्राईल के सामने सौदे से इनकार कर देती है। ‘युवा लड़की और वृद्ध चिनार की प्रेम कथा’ एक अद्भुत प्रेम कविता है। चिनार कश्मीर की प्रकृति और संस्कृति का मूर्त रूप है, जो एक युवा लड़की यानी, आज के समय की जूनी अर्थात् हब्बा ख़ातून से प्रेम कर रहा है। प्रेम का यह विस्तार उसी करुणा तक पहुँचता है, जो आसिया की कविता के केन्द्र में है।
    वह समय के संकट को व्यक्त करने के लिए हर बार मिथकों या पुराकथाओं का सहारा ही नहीं लेती बल्कि, कई बार क्रूर सच से सीधे टकराती है। लेकिन, यह याद रखते हुए कि कविता अन्ततः एक कला है। मेरी दादी बुनती थी…, गहन सैन्यीकृत क्षेत्र में… और मेरी बेटी के लिए… जैसी कविताओं में अतीत, वर्तमान और भविष्य (सम्भावित) के दमन और क्रूरता की अभिव्यंजना के बीच प्रतिरोध की वह ऊँचाई है, जिसके सामने बड़ा से बड़ा अत्याचारी शासक भी बौना दीखने लगता है। यह है कविता की ताक़त !
    – मदन कश्यप
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    128.00150.00
  • Mukkam Vashi : Kumar Gandharava Se Batcheet

    कुमार गन्धर्व उन विरले शास्त्रीय संगीतकारों में से रहे हैं जिन्होंने समझ और संवेदना से, साहस और निर्भीकता से संगीत के बारे में गहन चिन्तन किया; और परम्परा, उत्तराधिकार व अन्य कलाओं के साथ संवाद, रसिकता, समकालीनता आदि का प्रश्नांकन भी किया। उनके संगीत में, उसकी सघनता, व्याप्ति और वितान में इस प्रश्नांकन ने बड़ी सर्जनात्मक भूमिका निभायी है। उनका सांगीतिक सौन्दर्य गहरे और लम्बे वैचारिक संघर्ष की आभा से उपलब्ध और आलोकित हुआ है। उनके यहाँ विचार निरा विचार नहीं रागसिक्त विचार है; उनके यहाँ राग वैचारिक कर्म भी है। I उन्होंने रसिकों, संगीतकारों आदि के साथ जो लम्बी बातचीत की थी वह मराठी में थी । कुमार शती के अवसर पर रज़ा फ़ाउण्डेशन संगीत- चिन्तन की इस मूल्यवान् पुस्तक को हिन्दी अनुवाद में प्रस्तुत करते हुए कृतकार्य अनुभव करता है।

    – अशोक वाजपेयी
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    339.00399.00
  • Gaan Gungaan By Satyasheel Deshpande

    हमारे शास्त्रीय संगीत के रसिकों की कोई कमी नहीं है। नयी तकनालजी ने उसे सहज सुलभ करा के उनकी संख्या शायद कई गुना बढ़ा दी है। लेकिन सार्वजनिक परिसर में संगीत और संगीतकारों पर विचार-विश्लेषण का बहुत अभाव है। यह अभाव हिन्दी अंचल में विकराल है हालाँकि ज्यादातर घराने हिन्दी अंचल में ही उपजे और वहीं से ग़ायब हैं। संगीतकारों की आपस में चर्चा होती है, वाद-विवाद, बहस आदि भी लेकिन उसकी सार्वजनिक अभिव्यक्ति नहीं होती।

    बहुत कम संगीतकारों ने स्वयं लिखकर विचार या विश्लेषण किया है। सत्यशील देशपाण्डे उन दुर्लभ संगीतकारों में हैं (जिनकी पीढ़ी में और कोई, हमारे जाने, नहीं है) जिन्होंने समझ, संवेदना, रसिकता और बुद्धि से संगीत के विभिन्न पक्षों और अपने अनेक बुजुर्ग संगीतकारों पर मराठी में लिखा है। संगीत पर यह मूल्यवान् चिन्तनपरक सामग्री हिन्दी अनुवाद में, एक पुस्तक के रूप में, प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता है। यह पुस्तक हिन्दी अंचल के संगीत-रसिकों का रसास्वादन सघन और सचेत करने में सहायक होगी ऐसी उम्मीद है।
    – अशोक वाजपेयी
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    509.00599.00
  • Char Aadiroop Translated by Pragati Saxena

    यह मनुष्य के स्वतन्त्र, यानी चेतन निर्णय पर निर्भर करता है कि यह भलाई भी कहीं किसी शैतानी बुराई में ना विकृत हो जाए। मनुष्य का सबसे बड़ा पाप अचेतनता है, जिससे वे लोग भी बहुत धार्मिकता और करुणा से बर्ताव करते हैं, जिन्हें मनुष्यता के लिए शिक्षक और उदाहरण होना चाहिए। हम कब इतने क्रूर तरीक़े से मानवता को लापरवाही से लेना बन्द करेंगे और गम्भीरता से मनुष्यता को इस पैशाचिक वश से मुक्त करने के तरीक़े और साधन ढूँढ़ेंगे, ताकि हम उसे इस अचेतना और हस्तक्षेप से बचा सकें और कब इसे सभ्यता का सबसे महत्त्वपूर्ण काम बनाएँगे ? क्या हम इतना भी नहीं समझ सकते कि ये सारे बाहरी सुधार और फेरबदल मनुष्य की भीतरी प्रकृति को छू भी नहीं पाते, और अन्तत: सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि सारे विज्ञान और तकनीक के साथ क्या मनुष्य ज़िम्मेदारी उठाने के लिए सक्षम है या नहीं ?

    – इसी पुस्तक से

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    213.00250.00
  • Fakira By Anna Bhau Sathe

    फकीरा’ उपन्यास अण्णा भाऊ साठे का मास्टरपीस उपन्यास माना जाता है। यह 1959 में प्रकाशित हुआ तथा इसे 1961 में राज्य शासन का सर्वोत्कृष्ट उपन्यास पुरस्कार प्रदान किया गया। इस उपन्यास पर फ़िल्म भी बनी। ‘फकीरा’ एक ऐसे नायक पर केन्द्रित उपन्यास है, जो अपने ग्राम-समाज को भुखमरी से बचाता है, अन्धविश्वास और रूढ़िवाद से मुक्ति का पुरजोर प्रयत्न करता है तथा ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह करता है। एक दलित जाति के नायक का बहुत खुली मानवीय दृष्टि रखना, ब्रिटिश शासन द्वारा थोपे गये अपराधी जाति के ठप्पे से जुड़ी तमाम यन्त्रणाओं का पुरजोर विरोध करना, अपने आसपास के लोगों को अन्धविश्वास के जाल से निकालने की जद्दोजहद करना तथा बहुत साहस और निर्भयता के साथ अनेक प्रतिमान स्थापित करना ‘फकीरा’ की विशेषता है। उपन्यास का नायक ‘फकीरा’ एक नायक मात्र नहीं है, विषमतामूलक समाज के प्रति असहमति का बुलन्द हस्ताक्षर है।

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    254.00299.00
  • Baraf Mahal Translated by Neelakshi Singh

    वह एक सम्मोहक महल था। उसमें प्रवेश करने का रास्ता जल्द खोज लेना था। वह भूलभुलैया, उत्कण्ठा जगाने वाले रास्तों और विशाल दरवाजों से भरा होने वाला था और उसे उसमें दाखिले का रास्ता खोजकर ही दम लेना था। यह कितनी अजीब बात थी कि उसके सामने आते ही उन्न बाकी का सबकुछ बिल्कुल ही बिसरा चुकी थी। उस महल के भीतर समा जाने की इच्छा के सिवा हर दूसरी चीज का अस्तित्व उसके लिए समाप्त हो चुका था। आह। पर क्या वह सब इतना आसान था ! कितनी तो जगहें थीं, जो दूर से अब खुलीं कि तब खुलीं दिखती थीं, पर जैसे ही उन्न वहाँ पहुँचती, वे धोखा देने पर उतर आतीं। पर वह भी कहाँ हार मानने वाली थी !

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    238.00280.00
  • Shunya ki Tauheen By Ashar Najmi

    शून्य की तौहीन एक ऐसा उपन्यास है जो भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे विकट समस्या से हमें रूबरू कराता है। अशअर नज्मी के इस उपन्यास की केन्द्रीय चिन्ता यह है कि व्यक्ति स्वातंत्र्य को कैसे सुनिश्चित किया और अक्षुण्ण रखा जाए, जिस पर नित हमले हो रहे हैं। ऐसे हमलों से उपजा आतंक पूरे उपन्यास में तारी रहता है। यों तो सत्ताधीशों, पुलिस और नौकरशाही तथा धर्मसत्ता और समाज के सामन्ती ढाँचे आदि की तरफ से नागरिक आजादी को कुचलने की कोशिशें बराबर होती रही हैं, लेकिन पिछले कुछ दशकों से यह दमन सबसे ज्यादा धर्म के नाम पर हुआ है। इसका सबसे व्यवस्थित और चरम रूप पाकिस्तान के ईशनिन्दा विरोधी कानून में दीखता है। मज़हबी भावनाएँ उकसाकर बनाये गये

    196.00230.00
  • Chhand Ke Bhitar Itna Andhkaar By Shankh Ghosh (Paperback)

    Chhand Ke Bhitar Itna Andhkaar By Shankh Ghosh Paperback

    ‘छन्द के भीतर इतना अन्धकार’ बाङ्ला कवि शंख घोष की, जो कि इस समय श्रेष्ठ भारतीय कवियों में से एक हैं, चुनी हुई कविताओं का हिन्दी अनुवाद में एक संचयन है। शंख घोष लगभग एक साथ समूचे ब्रह्माण्ड और निपट पड़ोस के, पृथ्वी और बंगाली जीवन के एक बेहद मर्मज्ञ हृदय के रूप में उभरते हैं।

    245.00
  • Krur Asha Se Vihval – Mallarme Translated By Madan Pal Singh (Paperback)

    Krur Asha Se Vihval – Mallarme Translated By Madan Pal Singh

    275.00
  • Krur Asha Se Vihval – Mallarme Translated By Madan Pal Singh

    Krur Asha Se Vihval – Mallarme Translated By Madan Pal Singh

    550.00
  • Jo Kahin – Atul Deulgaonkar Translation By Gorakh Thorat

    Jo Kahin – Atul Deulgaonkar Translation By Gorakh Thorat

    234.00275.00