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Krur Asha Se Vihval – Mallarme Translated By Madan Pal Singh (Paperback)

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क्रूर आशा से विह्वल – मालार्मे (लेखन एवं अनुवाद – मदन पाल सिंह)

फ्रांसीसी साहित्य (जीवनी-कविता)

1866 के दौरान चौबीस वर्ष की आयु में मालार्मे का उस संकट की अवस्था से सामना हुआ जिसके अवयव बुद्धि व शरीर दोनों ही थे। उस अवधि के दौरान लिखे एक पत्र में कवि ने अपने विचार प्रेषित किये कि ‘मेरा गुजर कर फिर पुनर्जन्म हुआ है। अब मेरे पास आत्मिक मंजूषा की महत्त्वपूर्ण कुंजी है। अब मेरा यह कर्तव्य है कि मैं अंतरात्मा को किसी बाह्य प्रभाव या मत की अपेक्षा उसी से खोलूँ।’ स्पष्ट है कि इससे अन्य रचनाकारों की खींची लकीर व मीमांसा से बाहर निकलने का मार्ग बना।
यह भी जाहिर है कि नयी वैचारिकी के आलोक में मौलिक, महान अतुलनीय कार्य हेतु अनुपम, अपारदर्शी शब्द योजना का संधान आवश्यक था। लेकिन नियति वही रही जो प्रत्येक साहित्यिक कीमियागर या स्वप्नद्रष्टा द्वारा महान रचना (magnum opus) का स्वप्न देखने पर होती है, यानी अपूर्णता से उत्पन्न संत्रास। L’azur (नभोनील) कविता में भी विशुद्ध को साधने की असमर्थता, ‘मैं हूँ बाधित-त्रस्त ! गगन, अभ्र, नभओ व्योम तुमसे’ में व्यक्त हुई।
गुप्त संकेती मानस के ब्रह्मांड में समायी अवधि-अंतराल की व्याख्या एक सीमा तक ही हो सकती है। कथ्य में अकथ समाने की कितनी सामर्थ्य तथा अकथ में कथ्य की कितनी भागीदारी रही-कौन जाने ! फ्रांसीसी दर्शनशास्त्री और पेरिस विश्वविद्यालय में प्राध्यापक कौतें मेईयासू को पढ़ने पर पता लगता है कि वह आधुनिक आत्मा को संतुष्ट करने में सक्षम व अपने आप में एक समग्र पाठ तैयार करने की दुर्निवार्य इच्छा से भरे रहे।
लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं कि शब्द साधक का प्रयत्न व्यर्थ गया। मालार्मे की रचनात्मक भागीदारी शब्दों की ‘अनंत रहस्यपूर्ण सत्ता’ में चिह्नित हो चुकी थी।
उन्नीसवीं शताब्दी में और उससे भी पहले जिस तरह से ईसाइयत के धर्मसिद्धांत व रूढ़ियों से ऊपर उठ कर आदमी, सौंदर्य व तर्कबुद्धि के साथ विज्ञान को देखने लगा वह अद्भुत होने के साथ ही आवश्यक भी था। क्षुद्रबुद्धि व उपयोगितावाद से अरुचि प्रकट करते हुए, अप्रत्यक्ष दीप्ति के प्रति आस्थावान मालार्मे भी अपने अंतःकरण के व्याख्याता के रूप में समादृत हुए।


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Description

Krur Asha Se Vihval – Mallarme Translated By Madan Pal Singh

Additional information

ISBN

9789391277499

Author

Mallarme Translation By Madan Pal Singh

Binding

Paperback

Pages

248

Publication date

05-05-2021

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

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